Hindi Poetry holds a unique charm in the literary landscape. With its rich tradition, Hindi Poetry captures the essence of emotions and cultural nuances. In the realm of, best hindi poems creativity flourishes, weaving tales of passion and introspection. Exploring the diverse facets of life, बेस्ट हिंदी कविताएं resonates with readers, making it a cherished art form.
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Hindi Poetry
नई कहानी लिख लाऊंगा
अगले रोज मैं बिक जाऊंगा
तेरे गुल जब खिल जायेंगे
मुझको पैसे मिल जायेंगे।
याद है पहले रोज कहा था
बिछड़ गए तो मौज उड़ाना
वापस मेरे पास न आना
जब कोई जाकर वापस आये
रोये तड़पे या पछताए
मैं फिर उसको मिलता नहीं हु
साथ दुबारा चलता नहीं हु
गुम जाता हु खो जाता हु
Best Hindi Kavita – बाँट दिया इस धरती को…
बाँट दिया इस धरती को
क्या चाँद सितारों का होगा
उस नदियों का कुछ नाम रखे
बहती धारो का क्या होगा
शिव की गंगा भी पानी है
आवे जमजम भी पानी है
मुल्ला भी पिए पंडित भी पिए
पानी का मजहब क्या होगा
इन फिरका परस्तो से पूछो
क्या सूरज अलग बनाओगे
एक हवा में साँस है सबकी
क्या हवा भी नया चलाओगे
नस्लों का करे जो बंटवारा
रहबर वो कॉम का ढोंगी है
और क्या खुदा ने मंदिर तोडा था
या राम ने मस्ज़िद तोडा है।
Best Hindi Poems – पलट के आये तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे
पलट के आये तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे ”
उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे।
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गयी तो
हम ऐसे बुझदिल भी पहले सख्त पर खड़े मिलेंगे।
तुझे ये सड़के मेरे ताबासुफ़ से जानती है
तुझे हमेसा ये सब इसारे खुले मिलेंगे।
हमे बदन और नसीब दोनों सवारने हैं
हम उसके माथे का प्यार लेकर गले मिलेंगे।
न जाने कब उसकी आँखे छलके गी मेरे गम में
न जाने मुझे किस दिन ये बर्तन भरे मिलेंगे।
तुम जिस तरह मुझे चूमकर देखता है हाफी
हम एक दिन तेरे बाजुओं में मरे मिलेंगे। ..
दर्द सीने में छुपाये रखा
हमने माहौल बनाये रखा।
मौत आयी थी कई दिन पहले
उसको बातो में लगाए रखा।
थे भटकने के बहुत अंदेशे
इसक ने हमको बचाये रखा।
सो रहेंगे की जागते रहेंगे ;;;
हम तेरे खाब देखते रहेंगे
तू कही और ढूंढता रहेगा
हम कहि और ही खिले रहेंगे।
राहगीरों ने राह बदलनी है
पेड़ अपने जगह खड़े रहेंगे।
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे
जो इसक को काम समझते थे
या काम से आसिकी रखते थे।
हम जीते जी मसरूफ रहे
कुछ इसक किया कुछ काम किया
काम इसक के आरे आता रहा।
और इसक से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया।
अनगिनत हैं तलवारे और गला हमारा है
फिर भी जंग करने का हौसला हमारा है।
हम जो दारो मकतल के आसपास रहते हैं
खेलना ही खतरों से मझदला हमारा है।
जिनसे बात करने को फूल भी तरसते हैं
इन दिनों उनसे नई सिलसिला हमारा है।
अनगिनत हैं तलवारे और गला हमारा है
फिर भी जंग करने का हौसला हमारा है।
रोना हो आसान हमारा
इतना कर नुकसान हमारा
बात नहीं करनी तो मत कर
चेहरा तो पहचान हमारा
कुछ फेमि हो जायेगा हमको
मत रख इतना ध्यान हमारा
पहली चोट में जान गए हम
इसक नहीं मैदान हमारा।
जीत गया तेरा भोलापन
हार गया सैतान हमारा
पहले आकर बांध दिया था।
मौत ने सब सामान हमारा
रोना हो आसान हमारा
इतना कर नुकसान हमारा।
हम हम अपने दुखः को गाने लग गए हैं
मगर इसमें ज़माने लग गए हैं।
किसी की तरबियत का है करिश्मा
ये आँशु मुस्कुराने लग गए हैं।
जिन्हे हम मंजिलो तक लेके आये
वही रास्ता बताने लग गए हैं।
सराफत रंग दिखते हैं दानिश
कई दुसमन ठिकाने लग गए हैं।
हालत ज़माने के सँभालने नहीं देते
हम साथ में चलते हैं तो चलने नहीं देते।
नफरत की हवाओ को ज़माने से मिटा दो
उल्फत की चरागों को जो जलने नहीं देते।
रहबर है अगर आप तो मंजिल का पता दो
बिगड़े हुए हालत की तक़दीर बना दो।
आएंगे अच्छे दिन यकीं है हमे
नफरत की पहले दिवार गिरा दो।
मैं पत्थर का हो जाता हु।एक सोच अकल से फिसल गयी मुझे याद थी की बदल गयी
मेरी सोच थी की खुवाब था मेरी ज़िंदगी का हिसाब था।
मेरी जुस्तजू की बरस्त थी मेरी मुस्किलो की वो अक्स थी
मुझे याद हो तो वो सोच थी न याद हो तो गुमाह था।
मुझे बैठे बैठे गुमा हुआ गुमा नहीं था खुदा था वो
खुदा की जिसने जुबान दी मुझे दिल दिया मुझे जान दी
वो जुबान जिसे न चला सके वो दिल जिसे न मना सके वो जॉ जिसे न लगा सके।
हर दिन गलत निगाह से देखा न कर मुझे
मैं तेरा हो चूका हु सोचा न कर मुझे।
तन्हाईयो में बैठ कर तनहा ना कर मुझे
कहि घुट के मर जाउ ऐसा न कर मुझे।
तू मुझे भूल जाये इसका गम नहीं
लेकिन खुदा के वास्ते रुस्वा न कर मुझे।
अज़ाज़ तेरे इसक में बीमार हो गया
तेरा मरीजे इसक हु अच्छा न कर मुझे।
कभी मिल तो तुझको बताये हम तुझे इस तरह से सताये हम
तेरा इसक तुझसे छीन के तुझे मैं पीला के रुलाये हम
तुझे दर्द दू तू न सह सके तुझे दू जुबां तू न कह सके।
तुझे दू माकन तू न रह सके तुझे मुश्किलों से घेर कर ऐसा रास्ता निकल दू
तेरी दर्द की मैं दवा करू किसी गर्ज की मैं सेवा करूँ।
तुझे हर नजर पर उबोर दू तुझे ज़िंदगी का सबौर दू
कभी मिल भी जायेंगे गम न कर हम गिर भी जायेंगे गम न कर
तेरे एक होने में सक नहीं मेरी नियतो को साफ़ कर
तेरी सां में गई कमी नहीं मेरी इस कलम को माफ़ कर।
उदास रहने को कोई अच्छा नहीं बताता
कोई भी जहर को मीठा नहीं बताता है।
कल अपने आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमे बूढ़ा नहीं बताता है।
ए अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
किस तरह वो मेरे गुनाहो को धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
बुलंदियों का बड़े से बड़ा नीसान छुआ
उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आयी
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी।
मैं मंदिर मस्ज़िद गिरजा घर गया
पर मैंने भगवान् को तब देखा जब घर गया।
बचपन में माँ के गोद में सर रख के सो जाता था आराम से ,
बड़ा होके विस्तर देखा तो डर गया।
अपने आँचल में समेत रखा था माँ ने मुझे
मैं घर से निकलते ही बिखड़ गया।
अँधेरे से जब जब टकराया चीर कर निकला
रौशनी मेरे साथ निकली मैं जिधर गया।
पूरी दुनिया का स्वाद चखकर जब घर लौटा
माँ ने अपने हाथो से खिलाया पेट भर गया।
सच कहते हैं की ज़िंदगी मिलना न आसां है
हाँ जिसने ने मुझे ज़िंदगी दी वो मेरी माँ है।
जब पहली बार देखा था उसको तो उसका चेहरा खिला था
आँखों में मेरे आँशु थे की मेरे रूप में उसे एक बेटा मिला
जब मैं हाशु तो हँस देती है जब मैं रोउ तो रो देती है।
कितना भी न समझ था मैं मुझे भी पता था की माँ क्या होती है
न हाथ से निवाला उठाया जाता था न पैर से खुद चला जाता था।
जब माँ का अहमियत का मुझे तब पता लग जाता था
रोना तो मेरे लिए बहुत आसान होता था।
तब आँशु पोछने के लिए उसी का हाथ आगे आता था
जा बड़ा हुआ तो लगा रिश्ते भी बहुत होते हैं
लेकिन हर रिश्ते माँ के वाद ही होते हैं।
जब अकेला रहा तो उसकी याद आयी
,अँधेरे में था तो उसकी याद आयी।
जब भूख लगी तो उसकी याद आयी
नींद नहीं आयी तो उसकी याद आयी।
सोचने में कितनी आसान लगती थी ये ज़िंदगी
जब खुद से जीना सीखा तो उसकी याद आयी।
तभी भी लगा की माँ इतनी मतलब कैसे हो सकती है
हमसे भी ज्यादा हमारे लिए कैसे सो सकती है।
लेकिन सच तो ये है की वो माँ ही होती है
जो हमारा पेट भरकर खुद भूखा है।
ऐसा नहीं माँ को बनाकर खुदा ने कोई जस्न मनाया
सच तो ये है की वो बहुत पछताया क्यों की उसका
एक एक जादू किसी और ने चुराया वो जान भी न पाया
खुदा का काम था मोहब्बत वो माँ करने लगी।
हिफाज़त खुदा का काम था वो माँ करने लगी
खुदा का काम था वरकत वो भी माँ करने लगी।
देखते ही देखते उसके आंको के सामने कोई और परवर दीगर हो गया
उसने बहुत पछताया की उसने माँ को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया।
एक दिन सबेरे सबेरे मैं सो के उठा तो मेरे आँखे कुछ लाल थी
माँ ने पूछा क्या हुआ मैंने बोलै कुछ नहीं देर रात तक पढता रहा।
नींद पूरी नहीं हुयी सायद इसीलिए माँ का अगला सवाल
सच बता कोन है वो लड़की क्यों छोड़ दिया तुझे।
फिर कलैंडर पर दिन रात साल बदले माँ ने अपना घर बदल लिया
पर मेरी ज़िंदगी में कुछ खाश नहीं बदला
वक्त के हाथो दिल आज भी दुखता है आँखे आज भी लाल होती है।
बस वो दिया बुझ गया घर में उजाला था जिसके होने से
वो जासूस चला गया जो आँखे देखकर जान लेता था
की आँख सोने से लाल हुआ या रोने से।
बुलंदी देर तक किस सक्स के हिस्से में रहती है
बहुत अच्छी ईमारत हर घडी खतरे में रहती है।
बहुत जी चाहता है की यहां से हम निकल जाएँ
तेरी यादे भी इसी मलबे में रहती है।
ये ऐसा कर्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटू मेरी माँ सजदे में रहती है।
मेरी खुवाईश है की मैं फिर से फरिस्ता हो जाऊ
माँ से इस तरह लिपट जाऊ की बच्चा हो जाऊ।
कम से कम बच्चो की इन हसी के खातिर
ऐसे मिटटी में मिलाना की खिलौना हो जाऊ।
मैं भूल जाउ तुम्हे यही मुनासिब है
मगर भूलना भी चाहु तो किस तरह भूलू
की तुम तो फिर भी हकीकत हो कोई खाब नहीं।
यंहा तो दिल का ये आलम है क्या कहु कम्वख्त
भुला सका मैं ये सिलसिला जो कभी था ही नहीं।
वो ख्याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं
एक बात बात जो मैं कह नहीं सका मैं
वो एक रब्त सम्बंद जो हमने कभी रहा ही नहीं
मुझे है वो याद सब जो कभी हुआ ही नहीं।
मुझे हर हाल में बक्से गए उजाला अपना
चाँद रिश्ते में नहीं लगता है मामा अपना।
मैंने रोते हुए किसी दिन पोछे थे आँशु
मुदतो माँ न नहीं धोया दुपट्टा अपना।
उम्र भर हमने खली यु ही मकां रहने दिया
तुम गए तो दूसरे को कब यंहा रहने दिया।
मैंने कल सब चाहतो की किताबे फार दी
सिर्फ एक कागज पर लिखा सब्द माँ रहने दिया।
मैं शून्य पे सवार हु वे अदब सा खुमार हु
अब मुस्किलो से क्या डरु मैं खुद कहर हजार हु
की ऊंच नीच से पड़े मजार आँख में भरे।
मैं लड़ पड़ा हु रात से मशाल हाथ में लिए
न सूर्य मेरे साथ है क्या नई ये बात है।
वो शाम को ही ढल गया वो रात से था डर गया
मैं तो जुगनुओ का यार हु मैं शून्य पे सवार हु।
गलियों गलियों में मुझे ढूंढोगे तो याद आऊंगा
जब भी इस शहर को लौटोगे तो याद आऊंगा।
तुम मेरी आँख के तेवर न भुला पावोगे
अनकही बात को समझोगे तो याद आऊंगा।
हमने खुशियों की तरह दुःख भी इकठे देखे
सफाई जिसको पलटोगे तो याद आऊंगा।
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी बाजुओं को देखोगे तो याद आऊंगा।
इसी अंदाज में होते थे मुनाताप मुझसे
खत किसी और के लिखोगे तो याद आऊंगा।
मेरी खुशबु तुम्हे गुलेगी गुलाबो की तरह
तुम अगर खुद से न बोलोगे तो याद आऊंगा।
सर्द रातो के महकते हुए सन्नाटो में
जब किसी फूल को चूमोगे तो याद आऊंगा।
माँ ने बड़ी प्यार से आँखों में लगाया था काजल
दरिंदो जबरदस्ती इसे यु न उतारा करो।
और मैं खुद यु ही शिवा बनुगी और काली बन जाउंगी
मौत का तांडव भी करुंगु और लाशे भी बिछा जाउंगी।
क्या कहते हो दफ़नाने की जगह
स्मासान भी राख कर जाउंगी।
बहुत कुछ जान के जाना है तुमको
बड़ी मुशिकल से पहचाना है तुमको।
मुझे जो तुम समझते हो गलत है
किसी दिन ये भी समझाना है तुमको।
की मैं अपने खौफ की हद पे खड़ा हु
अब इसके वाद घबराना है तुमको।
ज़रा सा देखनी है आईने में
फिर उसके वाद सरमाना है तुमको।
वो तलब्दार हो गया तो फिर..
मुझसे इंकार हो गया तो फिर.
कितने मगरूर हो गए मरहम
जख्म खुद्दार हो गया तो फिर
मेरे दुसमन मैं एक बात कहूं
मैं तेरा यार हो गया तोँ फिर
वो मेरी अच्छी दोस्त है
मुझे प्यार हो गया तो फिर
उसकी दुनिया में नहीं रहता था
फिर भी मैं उसमे कहीं रहता था।
चाँद तारे थे उसकी जुल्फों में
मैं भी बादल सा वहीँ रहता था।
उसको आकाश बनता था मैं
और बांके मैं ज़मी रहता था।
जब कोई आँख न थी दुनिया में
तब भी वो परदा नसी रहता था।
उसके गले लग के सकिल
मैं कई रोज हंसी रहता था।
और ये बीरान सी आँखे है तेरी
मैं बहुत पहले यही रहता था।
मेरी मुठी से ये बालू सरक जाने को कहती है
के अब ये ज़िंदगी भी मुझसे थक जाने को कहती है।
जिसे हम ओढ़ के निकले थे आग़ाजी जवानी में
वो चादर अब ज़िंदगी को मसक जाने को कहती है।
कहानी ज़िंदगी की क्या सुनाये अहले महफ़िल को
सक्कर घुलती नहीं और खीर पाक जाने को कहती है।
मैं अपनी लरखरहट से परेशान हु लेकिन
पोती मेरी अंगुली पकड़ कर दूर तक जाने को कहती है।
तेरी खता नहीं जो तू गुस्से में आ गया
पैसे पैसे का ज़ोम था तेरे लहजे में आ गया।
सिक्का उछाल के तेरे पास क्या बचा
तेरा गुरुर तो मेरे कैसे में आ गया।
यो तो बहुत उदाश था मुझसे रूठकर
मैंने मनाना चाहा तो नखरे में आ गया।
दोनों कबीले जंग को तैयार थे की बस
फिर यु हुआ की फिर वो मेरे खेमे में आ गया।
मैं भी तुम जैसा हु अपने से जुदा मत समझो
आदमी ही रहने दो खुदा मत समझो।
ये जो मैं होस में रहता नहीं तुमसे मिलकर
ये मेरा इसक है इसको तुम नशा मत समझो।
रास ये आता हो सबको मोहब्बत का मरज
मेरी बीमारी को तुम अपनी दवा मत समझो।
बदलो की तरह बारिस की रहो
तुम मेरा गम हो आँख की पानी में रहो।
मुझको मालूम है तुम इसक नहीं कर सकते
तो हवस बनकर मेरे जिस्मानी में रहो।
तुमसे दोबारा मोहब्बत तो नहीं हो सकी
तुम मेरे साथ दुसमन जानी में रहो।
ये नई दुनिया दुनिया तुम्हे रास नहीं आएगी
लौट कर आओ मेरी जान पुरानी में रहो।
पहनकर झूठी हंसी जाना क्या
उदास है तो उदासी में मुस्कुराना क्या।
शराब छोड़ दी सिगरेट भी तोड़ दी हमने
तुम्हारे वास्ते छोड़ दे अब जमाना क्या।
वो चाहे आँशु का कतरा हो या कोई चेहरा
की जो गिर गया है पलक से उसे उठाना क्या?
किनारे वाले तो मिलते बिछड़ते रहते हैं।
अब इनके वास्ते दरिया में पूल बनाना क्या।?
गले लगाने से पहले ये काम करना था
बना लिया उसे अपना तो आजमाना क्या?
आईने के साथ प्यारा था कभी
एक चेहरे पर गुजारा था कभी।
ये मेरे घर की फजा को क्या हुआ
कब यंहा मेरा तुम्हारा था कभी।
कैसे तुकड़ो में उसे कर लू कबूल
जो मेरा सरे का सारा था कभी।
अपना गम लेके कही और न जाया जाए
घर में बिखरी हुयी चीजों को सजाया जाए।
जिन चरागों को हवाओ का कोई खौफ नहीं
उन चरागों को हवाओ से बचाया जाए।
क्या हुआ शहर को कुछ भी तो नज़र आये कहीं
यूँ किया जाए कभी खुद को रुलाया जाए।
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलो से उड़ाया जाए।
खुदखुशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमे
और कुछ दिन अभी औरो को सताया जाए।
घर से मस्ज़िद है बहुत दूर चलो ये करलें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए।
बदलो की तरह बारिश की कहानी में रहो
तुम मेरा गम हो मेरे आँख की पानी में रहो।
मुझको मालूम है तुम इसक नहीं कर सकते
तो हवस बांके जिस्म के मानी में रहो।
दोस्ती तुमसे दुबारा तो नहीं हो सकती
तुम मेरे साथ दुश्मन जनि में रहो।
ये नई दुनिया तुम्हे रास नहीं आएगी
लौट के आओ मेरी जान पुराणी में रहो।
कहानी जिनकी थी उसके ही जैसा हो गया था मैं
तमसा करते करते खुद तमाशा हो गया था मैं।
न मेरा नाम था न दाम बाजारे मोहब्बत में
बस उसने भाउ पूछा और महंगा हो गया था मैं।
बिता दी उम्र मैंने उसकी एक आवाज सुनने में
उसे जब बोलने आया तो बहरा हो गया था मैं।
खुद को ढूंढ कर एक रोज गोली मार दी मैंने
जिसे चाहा उसी की जान का खतरा हो गया था मैं।
तुम खास हो मेरे लिए
कभी सोचा नहीं था की कभी तुम्हारे तरह कोई
मेरे ज़िंदगी में आएगा जो मेरे लिए इतना खाश हो जायेगा।
मैं जो खुद को जानती तक नहीं थी
कोई मुझको मुझसे ज्यादा समझ जायेगा।
तुमसे मिलना इत्तेफाक है या नसीब पता नहीं
पर हाँ अब दिल में तुम्हारे शिवा कोई आएगा ही नहीं।
तुम मेरे ज़िंदगी का हिस्सा नहीं हो ,
तुम ज़िंदगी ही हो मेरे लिए।
तुम्हारा अब होना ज़रूरी है
क्योकि तुम्हारे बिना अब सांसे भी अधूरी है।
तुमको सामने से बताना थोड़ा मुश्किल है
पर तुम क्या हो मेरे लिए बस ये जानता तुम्हारा दिल ही है।
तुम हो बहुत स्पेशल मेरे लिए बस यु साथ चलते रहना
दिल बनकर मुझमे यूँही धड़कते रहना।
नजर बीरान है मेरी अभी तक
तेरी रिक्शा नहीं गुजरी अभी तक.
कसम देना नहीं छोड़ा किसी ने
मेरी सिगरेट नहीं छूटी अभी तक।
बहुत बूढी है खामोसी हमारी
मगर ऊँचा नहीं सुनती अभी तक।
अगर कुछ इसक जैसी बात होती
पकड़ जाती ये बीमारी अभी तक।
इन्तजार रहेगा मुझे बस तुम्ही से प्यार रहेगा मुझे
वो तुम्हारे सरमाता हुआ पलकों का झुक जाना।
वो तुम्हारा मुस्कुराते हुए बाये हाथो से बालो को पीछे ले जाना
वो तुम्हारा सरमाते हुए दोनों लफ्जो का चुप हो जा ना
वो मुझे देख के चुपके के कहि भाग जाना
तुम्हारे साथ बिताये हुए हर लम्हा याद रहेगा मुझे
हां बस इन्तजार रहेगा मुझे बस तुम्ही से प्यार रहेगा मुझे
वो मुझे चुपके से काफी देर तक देखना
वही पुराणी साडी फोटो को फोन में सेव कर अपनी आँखों को सेकना
वो मुझे अक्सर बातो ही बातो में प्यार का एहसास दिला देना
और मेरा कुछ पूछना हो तो तेरा कुछ जवाब न देना
वो तुम्हारा और मेरा साथ में चाँद तारे गिनना याद रहेगा मुझे
हां बस इन्तजार रहेगा मुझे बस तुम्ही से प्यार रहेगा मुझे
धुप में निकलो घटाओ में नहाकर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबो हटाकर देखो।
सिर्फ आँखों से ही दुनिया नहीं देखि जाती
दिल की धरकन को भी बिनाई बनाकर देखो।
पत्थरो में भी ज़ुबा होती है दिल होती है
अपने घरो को दरों दिवार सजाकर देखो।
वो सितारा है चमकने दो यु ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो।
फासला नजरो का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ाकर देखो।
धुप में निकलो घटाओ में नहाकर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबो हटाकर देखो।
कभी दिल चाहता है आईना मैं बन जाऊ तेरा
मुझे ही देख के कभी खुद को निखारे तुम।
मुझे ही देख के खुद को सवारे तू
कभी दिल चाहता है रास्ता मैं बन जाऊ तेरा
तेरे नाजुक कदम चलते रहे मेरे बदन पर
चरागों की तरह जलते रहे मेरे बदन पर
गुलाबो की तरह खिलते रहे मेरे बदन पर।
महक खिल जाये तेरे जिस्म की मेरे बदन में
नमक धूल जाये तेरे जिस्म का मेरे बदन में।
मैं मारा जाऊंगा पहले किसी फ़साने में
फिर उसके बाद हकीकत में मारा जाऊंगा।
मैं बरगलाया हुआ लड़ रहा हु अपने खिलाफ
मैं अपने सौके सहादत मारा जाऊंगा।
मेरा ये खून मेरे दुश्मनो के सर होगा
मैं दोस्तो के हिरासत में मारा जाऊंगा।
बस एक सुलह की सूरत ने जान बक्सी है
किसी भी दूसरी सूरत में मारा जाऊंगा। .
मैं चुप रहा तो मुझे मार देगा मेरा ज़मीर
गबाही दी तो अदालत में मारा जाऊंगा।
मरा कोई मेरे हाथो तो फिर भी मैं ही मरा
तरह तरह की वजाहत में मारा जाऊंगा।
उठाया जाऊंगा मरा हुआ कयामत का
फिर और एक कयामत में मारा जाऊंगा।
नहीं मरूंगा किसी जंग में ये सोच लिया
मैं अबकी बार मोहब्बत में मारा जाऊंगा।
आज हमने एक लड़की को औरत बनते देखा
बेटी से बहु बनते देखा खिलौनों से खेलने वाली
खुद खिलौना बन के आएगी सपने देखते देखते
हकीकत बनके आएगी जिन कंधो पे कभी
स्कूल का बेग था उन कंधो पे कभी घर की
ज़िम्मेदारी उठाते देखा कच्ची उम्र में रिस्तो
का बोझ उठाते देखा थी कभी घर की
लाड़ली उसे रिस्तो की बेरियो में जकड़े देखा
बेटी को बहु और बहु को माँ बनते देखा।
कभी माँ बाप कभी सोहरत कभी बच्चो के लिए
अपनी ज़िंदगी लुटाते देखा। आज मैं एक लड़की को
औरत बनते देखा।
मुसीबत है मुझे हर काम बेकारी भी मुश्किल है
बहुत दुशवार खुश रहना अजादारी भी मुश्किल है
बहुत आसान समझे थे हम इस कारे मोहब्बत को
मोहब्बत की तो मेरी जान अदाकारी भी मुश्किल है
मोहब्बत भी उस दुसमन देश की उस गैर मजहब से
दिले काफिर तेरी तो अब तरफदारी भी मुश्किल है
हम ऐसो को मसाले के मसाहिल में न उलझाओ
हम ऐसो से मजाहिब की रबादारी भी मुश्किल है
मैं कैसे चाहने वाले के दिल को ठेश पहुचाउ
मुझसे तो हरिफो की दिलाजारी भी मुश्किल है
हम इतनी देर में दस्ते जुनु से होके लौट आये
खिरत मंदो से इतने में तो तैयारी भी मुश्किल है
नज़र नज़र से मिलाना बहुत ज़रूरी था
हमारा वजद में आना बहुत ज़रूरी था।
बदन में खून की गर्दिस बहुत ही मद्धम थी
उसे गले से लगाना बहुत ज़रूरी था।
यहाँ तो मान रहे थे सभी खुदा तुमको
तुम्हारा सामने आना बहुत ज़रूरी था।
किसी ने पूछ लिया था गजल के बारे में
तुम्हारा नाम बताना बहुत ज़रूरी था।
शाम होने को है अब घर जाते हैं
अब बुलंदी से उत्तर जाते हैं।
ज़िंदगी सामने मत आया कर
हम तुझे देख कर डर जाते हैं.
खाब क्या देखे थके हारे लोग
ऐसे सोते हैं की मर जाते हैं।
तालीस में यार ये पहलु निकाल लेता है
की पत्थरो से भी खुशबू निकाल लेता है।
है बेलेहाज़ कुछ ऐसा की आँख लगते ही
ये सर के नीचे से बाज़ू निकाल लेता है।
कोई गली तेरे मखरूर ए दो जहां की तरफ
नहीं निकलती मगर तू निकाल लेता है।
खुदा बचाये वो कज़्ज़ाख शहर आया
वो जेब खाली तो आँशु निकाल लेता है।
अगर कभी जंगल में उसे शाम हो जाए
तो अपने जेब से जुगनू निकाल लेता है।
हाल दिल का उससे सुनते हुए
रो पड़ा था मैं मुस्कुराते हुए।
भीगती जा रही थी एक लड़की
बरिसो में नशा मिलाते हुए।
आसमां तक चला गया था मैं
एक दिन रास्ता बनाते हुए।
देर तक जब उदास रह लू तो
अच्छा लगता है मुस्कुराते हुए।
वो बेवफा है तो क्या मत कहो बुरा उसको
जो हुआ सो हुआ खुश रखे खुदा उसको।
नजर न आयी तो उसकी तलाश में रहना
कहि मिले तो पलट कर न देखना उसको।
वो सादा खून था ज़माने का गम समझता क्या
हवा के साथ चला ले उरी हवा उसको।
वो अपने बारे में कितना है खुश नुमा देखो
जब उसको मैं भी न देखु तो देखना उसको।
क्यों ..कब।..और कैसे ?
इन सब सवालो से परे हुआ हैं
हाँ मुझे तुमसे इसक हुआ है
उसूल जात और कायदो से आगे
दो तरफ़ा इसक के फाईदो से आगे
मेरी चाँद सूरज सितारों के आगे
मेरी नवी की इवादत
हर सदाकत के आगे
वेपरवाह बेपनाह वेवजह से हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है
जूनून की सहादत पर बेकरारी की आहट तक
कयामत की चौखट पर और इन्तजार की हद तक
बेवाक गुस्ताक जान निसार सा हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है
तेरी कैद से मैं यु रिहा नहीं हुआ
मेरी ज़िंदगी तेरा हक़ अदा नहीं हो रहा।
मेरी मौषमों तो फिर गिला है फज़ुल है
तुझे छूकर भी अगर मैं हरा नहीं हो रहा।
तेरे जीते जागते और कोई मेरे दिल में है
मेरे दोस्त क्या ये बहुत बुरा नहीं हो रहा।
कोई शेर है जो मैं चाह कर भी न लिख सका
कोई वाकिया है जो रहनुमा नहीं हो रहा।
मेरी इल्म है की मेरी कस्तियो में सीग़ाफ है
जब भी पार जाने का हौशला नहीं रहा।
हर बात पे कहते हो की मुमकिन ही नहीं है
लगता है मेरे रस्ते की दिवार तो तुम हो।
बीमार समझ के मुझे हँसते हो बहुत तुम
महसूस ये होता है की बीमार तो तुम हो।
बेमोल ही दिख जायेंगे हो जाएंगे अनमोल
सुनते हैं की इस बात खरीदार तो तुम हो।
माना की गुनहगारे मोहब्बत मैं हु लेकिन
तुम गौर करो असली गुनहगार तो तुम हो।
लोगो से छुपाऊं भी तो किस तरह छुपाऊ
मैं एक खबर लेकिन अखबार तो तुम हो।
मिलने की वो मुझसे पल भर भी नहीं मिलता
दिल उससे मिला जिससे मुकद्दर नहीं मिलता।
आखिर का वैहसातो का सलीखा सा हो गया
चलते रहे तो रास्ता अपना सा हो गया।
थे आईनो में हम तो कोई देखता न था
आईना क्या हुए की तमाशा सा हो गया।
आईने में चेहरा नुमायी का देखना
यहाँ आँख जब उठायी तो पर्दा सा हो गया।
गुजरा था कब इधर से उमीदो का ये हुजूम
इतने दिए जले की अँधेरा सा हो गया
यूँही दिल दही को दिन भी हुआ रात भी हुयी
गुजरी कहा थी उम्र गुजरा सा हो गया
हर शाम एक मलालत सी आदत हो गयी
मिलने की इंतजार भी मिलना सा हो गया
आखिर का वैहसातो का सलीखा सा हो गया
चलते रहे तो रास्ता अपना सा हो गया।
हमे तो आखिर देखना ये है की रहेगी लहजे धार कब तक
तुम्हारी लब्जो की कैंचियों से होंगे परिंदे शिकार कब तक।
जो साँस सीने में आ रही है कजा की पैगाम ला रही है
पियेंगे हम भी ये आस्क कब तक
पियोगे तुम भी सिगार कब तक।
ये वक्त दुनिया में ज़िंदगी भर किसी का न होकर रहा है
रहेंगे हम वेबकूफ कब तक
बनोगे तुम होसियार कब तक।
चलो उठो इन पढ़े लिखो से इन्ही के भाषा बात कर लें
सहोगे तुम इनके तंज कब तक
बने रहोगे गबार कब तक।
हिला ही मेरी ये तंग दस्ती भी घबराकर पूछती है
हिसाब अब दो तीन चार कब तक
महाजनो से उधार कब तक।
कहना तो बहुत कुछ चाहता हु तुझसे ,
मगर कह कहाँ पाता हु
सच तो ये है की जीना है तेरे बैगर
पर एक पल भी कहाँ रह पाता हु।
कोशिस हर बार होती है तुझे भुलाने की
पर एक पल भी कहाँ भुला पाता हु।
देखना चाहता हु हर रात सपने
पर मैं खुद को सुला नहीं पाता हु।
तुम अगर देखती तो सब समझ जाती
इस बेवसी को कहां छुपा पाता हु।
छलक जाता है दर्द आँखों से कभी कभी
पर मैं खामोश भी कहाँ रह पाता हु।
लिए फिरता हु एक समंदर इन आँखों में
मगर रो लू जी भर के ऐसा भी कहाँ कर पाता हु।
मुमकिन नहीं था जीना तेरे बगैर
मगर मजबूर हु मर भी नहीं पाता हु।
कहना तो बहुत कुछ चाहता हु तुझसे ,
मगर कह कहाँ पाता हु ।
सच तो ये है की जीना है तेरे बैगर
पर एक पल भी कहाँ रह पाता हु।
यहाँ आँख जब उठायी तो पर्दा सा हो गया।
गुजरा था कब इधर से उमीदो का ये हुजूम
इतने दिए जले की अँधेरा सा हो गया
यूँही दिल दही को दिन भी हुआ रात भी हुयी
गुजरी कहा थी उम्र गुजरा सा हो गया
हर शाम एक मलालत सी आदत हो गयी
मिलने की इंतजार भी मिलना सा हो गया
आखिर का वैहसातो का सलीखा सा हो गया
चलते रहे तो रास्ता अपना सा हो गया।
तेरे चुप रहना ज़हन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़े तुझे दी की गला बैठ गया।
यु नहीं है की फकत मैं ही उसे चाहता हु
जो भी उस पेड़ छाओ में गया बैठ गया।
इतना मीठा था गुस्से भरे लहजा मत पूछ
उसने जिस जिस को जाने कहा बैठ गया।
अपना लड़ना मोहब्बत है तुम्हे इल्म नहीं
चीखती तुम रही और मेरा गला बैठ गया.
उसकी मर्ज़ी जिसे पास बिठा ले वो अपने
इसपे क्या लड़ना फ्ला मेरी जगह बैठ गया।
बज़्म इ जाना मैं नशिस्त नहीं होती मख्सू
जो भी एकबार जहां बैठ गया बैठ गया।
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं कहते बस्तियाँ जलाने में।
फाख्ता की मज़बूरी ये भी नहीं कह सकती
की कोन सांप रखता है उसके आसियाने में।
हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रे बीत जाती है दिल को दिल बनाने में।
यु भी सेहरा से हमको रगबत है
बस यु ही देख लो की इज्जत है।
अब संबरने का वक्त उसको नहीं
जब हमे देखने की फुर्सत है।
तुझसे मेरी बराबरी ही क्या
तुझको इंकार की सहूलत है।
हसीन ख्वाब की रात हो जैसे
खा मखा की बात हो जैसे
अधूरी कोई मुलाकात हो जैसे
सतरंज में मिली मात हो जैसे
हार और जीत का पार हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है
मेरे इख़्तियार के बाहिर सब
मेरी मोहब्बत मेरा रब
दुनिया से अनजान सब
तू सबकुछ मेरा अब
मेरे खुदाया का जैसा करम हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है
मेरे कलाम का सारा सार हो जैसे
सावन की ठंडी बौछार हो जैसे
मुफ़लिस को दौलत का उपहार हो जैसे
जख्म को मरहम का उपहार हो जैसे
खुश नसीबो का जो नसीब हुआ है
वो मोजा इसार हुआ है
सिफा नहीं जिस मर्ज की
वो हसीं आसार हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है
मुझे तुमसे ऐसा इसक हुआ है।
सर से पांवो तक वो गुलाबो का सजर लगता है
बाबजु होकर भी छूटे हुए डर लगता है।
ज़िंदगी तूने मुझे कब्र से काम दी है ज़मी
पाँव फैलाऊ तो दिवार में सर लगता है।
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा
इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जायेगा।
हम भी दरिया हैं हमे भी अपना हुनर मालूम है
जिस तरह भी चल पड़ेगे रास्ता हो जायेगा।
बस गयी है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई खुसबू लगाऊं तेरी खुसबू आ जाती है। .
उसने छूकर फिर मुझे पत्थर से इंसान कर दिया
मुद्दतो बाद फिर मेरे आँखों में आँशु आएगा।
वो मेरे चेहरे तक अपनी नफरते लाया तो था
मैंने उसके हाथ चूमे वेबस कर दिया।
वो मेरे पीठ में खंजर जरूर उतारे गा
मगर निगाह मिली तो कैसे मरेगा।
तू समझता है की रिस्तो की दुहाई देंगे
अरे हम तो वो हैं जो तेरे चेहरे से दिखाई देंगे।
हमको महसूस किया जाये है खुशबु की तरह
हम कोई सोर नहीं है जो सुनाई देंगे।
हमीं तक रह गया किस्सा हमारा
किसी ने खत नहीं खोला हमारा।
पढाई चल रही है ज़िंदगी की
अभी उतरा नहीं बस्ता हमारा।
किसी को फिर भी महंगे लग रहे थे
फकत सांसो का खर्चा था हमारा।
माफ़ी और इतनी सी खता पर
सज़ा चल जाता हमारा।
यहीं तक इस शिकायत का न समझो
खुदा तक जायेगा झगड़ा हमारा।
ये सोचकर मेरे सेहरा में जी नहीं लगता
मैं सामले सफ़े आवारगी नहीं लगता।
कभी कभी वो खुदा बनके साथ चलता है
कभी कभी तो वो इंसान भी नहीं लगता।
यकीन क्यों नहीं आता तुझे मेरे दिल पर
ये फल कहां से तुझे मौसमी नहीं लगता।
मैं चाहता हु की वो मेरी ज़मी पर बोसा दे
मगर ज़ली हुयी रोटी को घी नहीं लगता।
मैं उसके पास किसी काम से नहीं आता
उसे किसी काम से काम नहीं है।
किसने सोचा था की इस हद तक भी जा सकता हु मैं
मौत से भी इसक का चक्कर चला सकता हु मैं
मुझसे अच्छा कोई आँशु पोछने वाला नहीं।
साथ रखले वापसी में काम आ सकता हु मैं
तुमसे बढ़कर कोन दुनिया में मेरे नजदीक है
एक तुम्ही तो हो जिसका दिल दुखा सकता हु मैं
वक्त ने तो गया किया तो है मगर इतना नहीं। .
घर अकेला हो तो अभी भी गन गुना सकता हु मैं
इसक में अगर जान देने की तू जींद छोड़ दे
रोज तुम्हे खुद ख़ुशी सीखा सकता हु मैं
भीड़ का सिकवा हमेसा दुसरो से किस लिए
यार खुद को भी तो रस्ते से हटा सकता हु मैं। .
किसने सोचा था की इस हद तक भी जा सकता हु मैं
मौत से भी इसक का चक्कर चला सकता हु मैं।
इस तरह से मिले हम की बात रह जाये
बिछड़ भी जाये तो हाथो में हाथ रह जाये।
मैं सो रहा हु तेरे खाब देखने के लिए
खुदा करे मेरे आँखों में रात रह जाये।
करीब आते हुए इतने पास रह गए थे
की फिर बिछड़ते हुए हम उदास रह गए थे।
हवस को इसक में शामिल नहीं किया मैंने
वो जब भी जिस्म बना हम भी लिवास हो गए थे।
सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकल सको तो चलो।
किसी के वास्ते राहे कहाँ बदलती है
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो।
यंहा किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराकर तुम अगर संभल सको तो चलो।
कहि नहीं कोई सूरज धुँआ धुँआ है फिजा
खुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो।
यही है ज़िंदगी कुछ खाब चंद उम्मीदे
इन्ही खिलौने से तुम भी बहाल सको तो चलो।
सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम निकल सको तो चलो।
किसी भी सर्त पर मंजूर उसकी कुर्बत थी
जो दोस्ती है अभी कल वही मोहब्बत थी।
वो बात सोचकर मैं जिसको मुद्दतो जीता
बिछड़ते वक्त बताने की क्या जरुरत थी।
हजार बार इसारो में उसको समझाया
मगर उसे तो मेरे झूठ से मोहब्बत थी।
मना लिया है उसे फिर उसी के सर्तो पर
तमाम उम्र किसे रूठने की फुर्सत थी।
अपनी हकीकत में किये कहानी करनी पड़ी
उसके जैसे मुझे अपनी ज़ुबानी करनी पड़ी।
कर सकता था बातें इधर उधर की बहुत
मगर कुछ लोगो बातें मुझे खानदानी करनी पड़ी।
अपने आँखों से देखा था मंजर बेवफाई का
गैर से सुना तो फ़िज़ूल हैरानी करनी पड़ी।
मेरे ज़हन से निकला ही नहीं वो सक्स
नए महबूब से भी बातें पुरानी करनी पड़ी।
उससे पहले मोहब्बत रूह तलक की मैंने
हरकते मुझे अपनी जिस्मानी करनी पड़ी।
तास की गड्डी हाथ में लिए मुझे जोकर समझती रही
फिर पत्ते बदल मुझे बेमानी करनी पड़ी।
Poetry For Hindi – आईना देखते ही याद आया
आईना देखते ही याद आया
मेरा चेहरा किसी से मिलता है।
एक वो मुझसे ही नहीं मिलता
शहर में हर किसी से मिलता है।
कुछ तो खूबी है आप में ताबिश
हर कोई आप ही से मिलता है।
कुछ ने आँखे कुछ ने चेहरा देखा है
सबने तुझको थोड़ा थोड़ा देखा है।
तुमपे प्यास की माने खुलने वाली नहीं
तुमने पानी पाइक दरिया देखा है।
रोती आँखे ये सुनकर खामोश हुयी
मलबे में एक सक्स को जिन्दा देखा है।
बाबा बोला मेरी किस्मत अच्छी है
उसने सायद हाथ तुम्हारा देखा है।
पर अंधी दुनिया को मैं कैसे समझाऊ
इन आँखों से मैं क्या क्या देखा है।
लगता है मैं प्यास से मरने वाला हु
मैंने कल सब खाब में सेहरा देखा है।
मोहब्बते जब सुमार करना तब साजिसे भी सुमार करना
जो मेरे हिस्से में आयी है वो अज़ीयते भी सुमार करना।
जलाए रखूगी सुबहो तक मैं तेरे रास्तो में अपनी आँखे
कहि ज़प्त टूट जाए तब बारिसे भी सुमार करना।
जो हर्फ़ लोहे वफ़ा पे लिखे हैं उनको भी देख लेना
जो रऐगा हो गयी वो साडी इबारते भी सुमार करना।
ये सर्दियों का उदास मौसम की धरकने भी वर्फ हो गयी है
जब इनकी यर्खबस्दी परखना तामाजे पर भी सुमार करना।
तुम अपने मजबूरियों के किस्से जरूर लिखना बजाहत हमसे
जो मेरी आखे में बुझी है वो खुआयीसे सुमार करना।
चढ़ा वो नशा किसी से नजर मिलाने में
खुली है आँख किसी दूसरे ज़माने में।
नहीं है यु तो किसी का का दिल ए नाकाम
लगा हुआ हु इसे किसी काम का बनाने में।
ज़रा सा कान लगाए तो ये खुला मुझपर
नशे में कोई नहीं था शराब खाने में।
यही थी उम्र उदासी की लुफ्त लेने की
गुजर रही है जो बेवजह मुस्कुराने में।
तमाम शहर का जीना जिसने मुहाल किया
मैं कामयाब रहा उसका दिल दुखाने में।
तेरी खुशियों का सबब यार कोई और है न
दोस्ती मुझसे है प्यार कोई और है न।
तू मेरे अस्क न देख फकत इतना बता।
जो तेरे हुस्न पे मरते हैं बहुत से होंगे
पर तेरे दिल का तलब्दार कोई और है न
तुम्हारे वाद ये भी दुःख तो सहना पर रहा है।
किसी के साथ मज़बूरी में रहना पर रहा है
मुझे बाटे नहीं तेरी मोहब्बत चाहिए थी
की मुझे अफ़सोस ये है की कहना पर रहा है।
कभी भी किसी से ज़िक्रे जुदाई मत करना
इन आँखों को कभी रोसनाई मत करना।
जहाँ से जी न लगे तुम वही बिछड़ जाना
मगर खुदा के लिए वेबफ़ाई मत करना।
जो लोग काम हो तो कन्धा जरूर दे देना
सराहने आकर भाई भाई मत करना।
Motivational and Uplifting Poetry in hindi
कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती
नन्ही चिटी जब दाना लेकर चलती है।
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विस्वास रगो में साहस भरता है।
चढ़ कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिस करने वालो की कभी हार नहीं होती।
जब एहसास कोई चेहरा हो जाता है
मंजर मंजर आईना हो जाता है।
माली चाहें चौकन न हो
फूल और तितली में रिस्ता हो जाता है।
अब लगता है ठीक कहा था ग़ालिब ने
बढ़ते बढ़ते दर्द दवा हो जाता है।
Inspirational Poem About life
ए मेरे जात के सुकु आजा
थम न जाये जूनून आजा
रात से एक सोच में गु हु
किस बहाने कहु तुम्हे आजा
हाथ जिस मोड़ पर छुड़ाया था।
मैं वही पर हुसेनीभु आजा
याद है सुर्ख फूल का तौफा
हो चला वो भी निल गम आजा
इससे पहले की मैं अजित में
अपनी आँखों को नोच लू आजा।
देख मैं याद कर रही हु तुझे
फिर मैं ये भी न कर सकू आजा।
Sad Love Hindi Poetry
तुम अपने आप पर एहसान क्यों नहीं करते
किया है इसक तो ऐलान क्यों नहीं करते।
बस एक चराग के बुझने से बुझ गए खुद भी
तुम आँधियो को परेशान क्यों नहीं करते।
सजाये फिरते हो महफ़िल हमेशा चाँद के साथ
कभी सितारों को मेहमान क्यों नहीं करते।
मफरतो से लड़ो प्यार करते रहो
अपने होने का इजहार करते रहो।
ज़िंदगी से मोहब्बत करो टूट कर
मौत का काम दुस्वार करते रहो।
इतने अच्छे बनोगे तो मर जाओगे
थोड़े दुसमन भी तैयार करते रहो।
कमरे के जिस कोने में गुलदान रहा
वो कोना ही जाने क्यों बीरान रहा।
बीच भवर से कस्ती कैसे बच निकली
बहुत दिनों तक दरिया भी हैरान रहा।
जब तक इसक का पानी नहीं लगा
दिल का पौधा बे रौनक बेजान रहा।
Beautiful Hindi Poetry On Life
और क्या आखिर तुझे ज़िंदगानी चाहिए
आरजू कल आग की थी आज पानी चाहिए।
ये कहा की रीत है जगे कोई सोये कोई
रात सबकी है तो सबको नींद आनी चाहिए।
इसको हसने के लिए तो उसको रोने के लिए
वक्त की झोली से सबको एक कहानी चाहिए।
क्यों जरुरी है की किसी के पीछे पीछे हम चले
जब सफर अपना है तो अपनी रबानी चाहिए।
किसी से होता है जाहिर जो हाल दर्द का है
सभी को कोई न कोई बबाल दर्द का है।
शहर सिसकते हुए आसमान से उत्तरी
तो दिल ने जान लिया ये बिशाल दर्द का है।
ये झाक लेती है दिल से दूसरे के दिल में
मेरी निगाह में सारा कमाल दर्द का है।
अब इसके बाद कोई राब्ता नहीं रखना
ये बात तय हुयी लेकिन सवाल दर्द का है।
ये दिल ये उजरी हुयी चश्मे नम ये तन्हायी
हमारे पास तो जो भी है माल दर्द का है।
किसी ने पूछा की बहुत हसीं हो तुम
तो मुस्कुराकर कहा सब ज़माल दर्द का है।
सुना है तेरे नगर जा बसा है बेचारा
सुनाओ कैसा वहां हालचाल दर्द का है।
रंगे दुनिया कितना गहरा हो गया
आदमी का रंग फीका हो गया।
रात क्या होती है हमसे पूछिए
आप तो सोये सबेरा हो गया।
आज खुद को बेचने निकले थे हम
आज ही बाजार मंदा हो गया
गम अँधेरे का नहीं मगर।
वक्त से पहले अँधेरा हो गया
Best Hindi Kavita
आग हो तो जलने में देर कितनी लगती है
वर्फ के पिघलने में देर कितनी लगती है।
चाहे कोई रुक जाये चाहे कोई रह जाये
काफिलों क चलने में देर कितनी लगती है।
चाहे कोई जैसा भी हो हमसफ़र सदियों से
रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है।
ये तो वक्त के बस में है की कितनी मोहलत दे
वरना वक्त ढलने में देर कितनी लगती हैं।
तेरी याद न आये इसी लिए तुझे हर जगह से
ब्लॉक कर दिया था।
वो दरवाजा जो ले जाता था हमे उन मीठे लम्हो पे
उसे लॉक कर दिया था।
इस दरवाजे को कोसिस करि खोलने की लाखो लोगो ने
पर हमने इसकी चाभी किसी को न दी
क्योंकी तुमने नहीं हमने भी नहीं।
सायद तुम्हारी साडी सहेलियों ने हमारे साथ
बेवफाई किया था।
Heart Touching Poem In Hindi
जूझने का मेरा कोई इरादा न था मोर पर मिलेगे इसका वादा न था
रास्ता रोककर कड़ी हो गयी लगा ज़िंन्दगी से बड़ी हो गयी।
मौत की उम्र क्या दो पल भी नहीं ज़िंदगी सिलसिला आजकल की नहीं
मैं जी भर जिया ऐन मन से मरु लौटकर आऊंगा कुछ से क्या डरु। .
तू दबे पाव चोरी छिपे से न आ सामने वॉर कर फिर मुझे आजमा
मौत से बेखबर ज़िंदगी का सफर शाम हर सुरमयी रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी की नहीं की कोई गम ही नहीं दर्द अपने पराये कुछ काम ही नहीं
प्यार इतना पराये से मुझको मिला न अपनों से बांकी है कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये आँधियो में जलाये हैं बुझते दिए
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी अन्तर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानुगा रार नहीं ठानूँगा काल के कपल पर लिखता मिटाता हु
गीत न्या गाता हु गीत न्या गाता हु।
इस कदर प्यार की बारिश हो की जल थल हो जाऊ
तुम घटा बनके चले आओ मैं बारिश बन जाऊ।
घर में बैठा हु चमकते हुए सोने की तरह
मैं तो सराबे में आ जाऊ तो पीतल हो जाऊ।
ढूंढते धुन्धती एक उम्र गुजारी जिसको
वो अगर सामने आ जाये तो पागल हो जाऊ।
मुस्तासिर चाक पे है मेरी अधूरी मिटटी
तू जरा हाथ लगा दे तो मुकम्बल हो जाऊ।
मेरे सन्नाटो ने अवाद रखा है मुझको
मैं तेरे शहर में आ जाऊ तो जंगल हो जाऊ।
Mother Poetry In Hindi
माँ बहुत बड़े बड़े सपने देखे है हमने
एक दिन मैं बुलंदियों की तस्वीर बनुगा।
सोहरतो की नजीर बनुगा बहुत कामयाब
बहुत आमिर बनुगा।
लेकिन ये सब तेरे किस काम का
दुनिया का सबसे बड़ा दौलत मंद हो गया फिर भी तेरा
कर्जदार रह जाऊंगा।
जो सिक्के तुमने मेरा नजर उत्तर कर गंगा में फेक दिए
वो तुझे कभी नहीं लौटा पाउँगा।
घडी भर भी तनहा मुझे होने नहीं देते
ये मुझे चाहने वाले मुझे सोने नहीं देते
मेरी सर पे मेरी माँ के दुआओ की जो साये हैं।
सफर में कही भी ये हादसा होने नहीं देते
पराये दुःख में रो रो कर गुजारी ज़िंदगी मैंने
मगर मेरे ही गम मुझको कभी रोने नहीं देते।
नदी के पास में घर है गमो का पला है
खबर मिली है की सैलाब आने वाला है।
कोई बला भी मेरे पास आ नहीं सकती
की मेरी माँ में बालाओ में मुझको पाला है।
मैं बच भी गया तो हैरत की कोई बात नहीं
ये हादसा तो किसी रोज होने वाला है।
कितना स्पष्ट होता है आगे बढ़ते जाने का मतलब
अगर दसो दिशाए हमारे सामने होती हमारे चारो ओर नहीं।
कितना आसान होता चलते चले जाना
यदि केवल हम चलते होते बांकी सब रुका होता।
मैं अक्सर इस उलजुलूल दुनिया को दस सिरों से सोचने
और बीस हाथो से पाने की कोशिस में
अपने लिए बेहद मुश्किल बना दिया।
Hindi Poem Short
शुरू शुरू में सब यही चाहते हैं की सबकुछ सुरु से शुरू हो
लेकिन अंत तक पहुंचते पहुंचते हिम्मत हार जाते हैं
हमे कोई दिल चस्पी नहीं रहती की वह सब कैसे समाप्त होता है। .
जो इतनी धूम धाम से शुरू हुआ था हमारे चाहने पर
दुर्गम बनो और अच्छे पर्वतो को जीतते हुए।
जब तुम अंतिम उचाई को भी जीत लोगे
जब तुम्हे लगेगा की कोई अंतर नहीं बचा अब
तुममे और उन पत्थरो की कठोरता में जिन्हे तुमने जीता है।
जब तुम अपने मस्तक पर वर्फ का पहला तूफान झेलोगे और कापोगे नहीं
तब तुम पाओगे कोई फर्क नहीं सबकुछ जीत लेने में
अंत तक हिम्मत न हरने में।
Motivational Hindi Poetry
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा
कठिन रास्तो चलके नया दास्ताँ लिखूंगा
अकेला चलूँगा लेकिन करवा लिखूंगा।
पैर ज़मी पे होने लेकिन सपनो में आसमा लिखूंगा
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा
न सपनो की तस्वीर बदलूंगा न चलने की तेवर बदलूंगा।
घेरे चाहे प्रलय की घनघोर घटाए
रास्तो से मंजिल का पता पूछूंगा
अपनी राह खुद ही बनाऊंगा।
खुद ही खुद का पहचान लिखूंगा
सतह टेपे या पैरो में छाले पड़े
अपनी धुन में चलता जाऊंगा।
खुद ही हमसफर और खुद ही आगे बढ़ता जाऊंगा
खुद ही खुद की पहचान लिखूंगा।
जब अपनी बेकली से बे खुदी से कुछ नहीं होता
पुकारे क्यों किसी को हम किसी से कुछ नहीं होता।
कोई जब शहर से जाये तो रौनक रूठ जाती है
किसी की शहर में मौजूदगी से कुछ नहीं होता।
चमक यु ही नहीं पैदा हुयी है मेरी जॉ तुझमे
फिर कभी कहना नहीं तू बेरुखी से कुछ नहीं होता।
जो बात खाश है खुद को भी बताऊँ नहीं
मैं लुफ्त लेता रहु और मुस्कुराउ नहीं।
उसे सताने का बस एक यही तरीका है
की उसके दिल में राहु और समझ में आउ नहीं।
प्यार के दीप जमाने में जलना होगा
जो बिछड़ जाये उन्हें फिर से मिलाना होगा।
और मसला मजहबो के मिल्ल्त के उठाने वालो
पहले इंसान को इंसान बनाना होगा।
कामरानी कामयाबी का लगन अगर दिल में हो
तो चलो ये न सोचो की खा अपना ठिकाना होगा।
अगर है मंजिले मक़सूर पे जाना यारों
रहे पुलखर को गुलजार बनाना होगा।
Best Hindi Poem For Lover
जब हंसकर बाटे करती हो
धुप में बरसातें करती हो।
तुम कितनी बाते करती थी
अब किस्से बाटे करती हो।
बहुत रूक रूक के चलना पद रहा है
ये सस्ता बहुत महंगा पर रहा है।
तुम्हारे साथ जीना चाहता था
तुम्हारे बिन अब जीना पर रहा है।
इस ज़माने को ज़माने की अदा आती है
और एक हम हैं हमे सिर्फ वफ़ा आती है।
कोरे कागज पर रो रहे हो तुम
मैंने तो समझा पढ़े लिखे हो तुम।
क्या कहा मुझसे दूर जाना है
इसका मालाब है जा चुके हो तुम।
अब तलाक उसको ध्यान हो मेरा
क्या पता ये गुमा हो मेरा।
खत तेरे रात भर यु पढता हु
जैसे कल इम्तिहान हो मेरा।
एक खालिस है जो कभी हमसे निकली नहीं गयी
तोई तजबीज भी महलम से नयकाली नहीं गयी।
क्या वो दावा था तुझे दिल से निकाले गें
तेरी तस्वीर भी एल्बम से निकाली न गयी।
जान देने के लिए हम तो निकाला था रे
की मेरे जान तेरे गम से निकाली न गयी।
किसी अनजान नंबर से जब मुझे कॉल आती हैं – poem in hindi
किसी अनजान नंबर से जब मुझे कॉल आती हैं
दिल में जनि पहचानी सी हसरत जाग जाती है।
ज़रा फिर से तो कहना क्या मोहब्बत तुम करोगे
अरे चलो छोडो तुम्हे तो नींद आती है।
रिस्ता चाहे मिट भी जाये लेकिन जज्बे रह जाते हैं
यानि पिंजरा उड़ जाता है परिंदे रह जाते हैं।
तुझको आगे बढ़ना है तो अपने दिल को हल्का कर ले
बोझ उठाकर चलने वाले अक्सर पीछे रह जाते हैं।
दिवार मत उठाईये रास्ता बनाइये- hindi poem
दिवार मत उठाईये रास्ता बनाइये
साब्जा बिछाते जाईये साया बनाइये।
क्यों कर उलझ रहे हैं की मंजर है रात का
सूरज न बन सके तो सितारा बनाइये।
अगर हो सके तो रौशनी खुशबु हवा बने
दुनिया बहुत बुरी है तो अच्छा बनाइये।
Emotional heart break poetry in hindi
फूलो ने दिए ज़ख्म तो काँटों से गिला क्या
क्या करना था अपनों को सुलूक और किया क्या।
ना हाथ में सीसा था न सागर था न मीणा
अगर दिल नहीं टुटा है तो छन से गिरा क्या।
तुमने जो महकते हुए ये शेर कहे हैं
फिर कुचई जाना से ये ज़ख्म मिला क्या।
वो पूछते फिरते हैं मेरे बारे में सबसे
एक मेरा भी सायर है उसे तुमने सुना क्या।
छाले थी की आना था की गैरत थी की क्या था
जब फर्श थी मखमल का तो तलबे में चुभा क्या।
परो को खोल जमाना उड़ान देखता है- hindi kavita
परो को खोल जमाना उड़ान देखता है
ज़मी पे बैठकर क्या आसमान देखता है।
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफ़ाज़त कर
संभल कर चल तुझे सारा जहाँ देखता है।
कनीज हो कोई या कोई सहजादी हो
जो इसक करता है कब खानदान देखता है।
हद से ज़्यादा भी प्यार मत करना- hindi poem
हद से ज़्यादा भी प्यार मत करना
दिल हरेक पर निसार मत करना।
क्या खबर की जगह पर रुक जाये
साँस का एतवार मत करना।
आईने की नजर न लग जाये
इस तरह से सिंगार मत करना।
तीर तेरी तरफ ही आएगा
तू हवा में सीकार मत करना।
डूब जाने का जिसमे खतरा है
ऐसी दरिया को पार मत करना।
देख तौबा का देर खुला है अभी
कल का तू इंतजार ,मत करना।
हमने वतन के वास्ते क्या क्या नहीं किया
हमने वतन के वास्ते क्या क्या नहीं किया
और आप कह रहे हैं की क्या क्या नहीं किया।
मै धोखा वफ़ा के रहो में खाये हैं बहुत
लेकिन किसी के साथ धोखा नहीं किया।
हमने गुजार दिए फकीरी में ज़िंदगी
लेकिन कभी ज़मीर का सौदा नहीं किया।
दिल को जला के दिए ज़माने को रौशनी
जुगनू पकड़ के हमने उजाला नहीं किया।
ऐबो को मेरे धप लिया आपने हुजूर
क्या बात है की आपने चर्चा नहीं किया।
ए दोस्त क्या अब मैं वफ़ा का सबूत दू
वादा वफ़ा किया हु लेकिन वादा नहीं किया।
मैखाना पि गया हु लेकिन कभी पि के तमासा नहीं किया।
लोगो को मुलाकातों के लम्हे याद रखता हु
बाते भूल भी जाउ लहजे याद रखता हु।
जरा हटके चलता हु ज़माने की रुयायत से
जिनपे बोझ मैं डालू वो कंधे याद रखता हु।
मैं यु तू बहुल जाता हु खरासे तल्क बातो की
मगर जो जखम गहरे दे वो बातें याद रखता हु।
ज़ख़्मी परिंदे की तरह अभी तक इस जाल में हैं -hindi poem
ज़ख़्मी परिंदे की तरह अभी तक इस जाल में हैं
ऐ इसक अभी तक हम तेरे जंजाल में हैं।
हँसते हुए चेहरे ने अभी तक भरम रखा हमारा
वो देखने आया था की किस हाल में हम हैं।
अब आप की मर्जी है संभाले न संभाले
खुसबू की तरह आपकी रुमाल में हम हैं।
एक याद की सूरत ही सही याद है अब तक
माँ कटी थी ले ओढ़ ले इस साल में हम हैं।
हम रोने लगे फुट के मौत के डर से
नेकी ने कहा न महल में मै या हम हैं।
यु तो सबकी हमसफ़र है दुनिया
सबकी होती नहीं मगर दुनिया।
ये अना काम नहीं है जीने को
खुद को जीता है हारकर दुनिया।
जितना कीमत है उतना माल नहीं
हमने छोड़ी है देखकर दुनिया।
एक ही नाम एक ही चेहरा
यु भी होती है मुख़्तसर दुनिया।
सायरी से न जी उचट जाये
देख इतना न बन सबर दुनिया।
यु तो सबकी हमसफ़र है दुनिया
सबकी होती नहीं मगर दुनिया।
मसला तो इसक का है ज़िंदगानी का नहीं
यु समझिये प्यास का सिकवा है पानी का नहीं।
क्या सितम है वक्त का इस दौर का हर आदमी
है तो एक किरदार पर अपनी कहानी का तो नहीं।
अनसुना करने से पहले सोच लो तुम एक बार
खामोसी का शोर है ये बेजुबानी का नहीं।
कास तुम रौनक के पीछे का अँधेरा देखते
नवस तो तहरीर का है वो मणि का नहीं।
वक्त को क्या हो गया है क्या सुनाता है हमे
जंगल में फूलो का किस्सा रात रानी का नहीं।
मसला तो इसक का है ज़िंदगानी का नहीं
यु समझिये प्यास का सिकवा है पानी का नहीं।
तुझसे बिछड़ कर मरना था मैं ज़िंदा हु
हाँ माना मैं झूठा था मैं ज़िंदा हु।
जब तुम मेरे अंदर सांसे लेते थे
मुझको ऐसा लगता था मैं ज़िंदा हु।
तुमसे पहले ये बीमारी मुझमे थी
मैं भी सबसे कहता था जिन्दा हु।
तू कौन है जो उसकी कमी पूरी करेगा
वो आएगा तो अपनी कमी पूरी करेगा।
अगर होता तो हम मान भी लेते
ए सक्स तू किस किस की कमी पूरी करेगा।
तुझ सा है मेरी जान मगर तू तो नहीं है
ये फूल तेरी कितनी कमी पूरी करेगा।
बैठेगा तेरी राह में गुलदस्ते उठाये
एक पेड़ मेरी यंहा कमी पूरी करेगा।
हरेक बात को चुपचाप क्यों सुना जाये
कभी तो हौसला करके नहीं कहा जाये।
तुम्हारा घर भी इसी शहर के हिसार में है
लगी है आग खान क्यों पता किया जाय।
जुदा है हीर से राँझा कई ज़माने से
नए सिरे से कहानी को फिर लिखा जाय।
खा गया है सितारों को छूना मुश्किल है
ये कितना सच है कभी तजुर्बा किया जाय।
किताबे तो यु बहुत सी है मेरे बारे में
कभी अकेले में भी खुद को पढ़ लिया जाय।
ये सुनकर दिल पर खंजर चल रहे हैं
तेरे किस किस से चक्कर चल रहे हैं।
ये मेरे पॉव काटने का सिला है
की सब बेखौब होकर चल रहे हैं।
थोड़ी तौफीक दी बुराई की
मुझपे तौमत है परसाई की।
उसने मुझसे तो मैंने बदले में
जो मिला उससे बेवफाई की।
सांसे चलती है बदन में हरकत नहीं होती
ये खुद को मरकर जीना कैसा है।
शराब मुझे मीठी लगती है
ये बताओ जहर पीना कैसा लगता है।
न जाने सर्द रात में न जाने वो किसका जिस्म ओढ़ रही है
इस सर्दी के मौसम में मुझे पसीना आता है।
ये चुपके चुपके न थमने वाली हंसी को देखो
वो साथ है तो ज़रा हमारी ख़ुशी तो देखो।
बहुत हसीं रात है लेकिन तुम तो सो रहे हो
निकल कर कमरे से एक नजर चांदनी तो देखो।
जगह जगह सिल्क ये धब्बे ये सर्द बिस्तर
हमारे कमरे से धुप की बेरुखी तो देखो।
दमक रहा हु अभी तलाक उसके ध्यान से मैं
बुझे हुए ख्याल की रौशनी तो देखो।
ये चुपके चुपके न थमने वाली हँसी तो देखो।
जो कभी जहन तक से तस्लीम था
वो अब नजरो तक से गिर गया है।
वो बता रहा है हद में रहो
जो अपनी हद से गुजर गया है।
हिफाज़त दुश्मनो से तो कर लेते
कोई अपना दुश्मनी पे उत्तर गया है।
मेरे हक़ में दलीले थी फिजूल है अब
मेरा गावह गबाही देने से मकड़ गया है।
मेरी फांसी मुक़्क़र्र होने पर वो मुस्कुराई बहुत
न जाने कोन सा बहम उसके सर चढ़ गया है।
दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए।
यु तो कदम कदम पर है दिवार सामने
कुछ भी न हो तो खुद से उलझ जाना चाहिए।
झुकती हुयी नजर हो या सिमटा हुआ बदन
हर रस भरी घटा को बरस जाना चाहिए।
चौराहे बाग़ बिल्डिंगे सब सहर तो नहीं
कुछ ऐसे वैसे लोगो से याराना भी चाहिए।
अपनी तलाश अपनी नजर अपना तजुर्बा
रास्ता हो चाहे साफ भटक जाना चाहिए।
चुप चुप माकन रस्ते गुमसुम निढाल वक्त
इस शहर के लिए कोई दीवाना चाहिए।
बिजली का कुमकुमा न हो कला धुआँ तो हो
ये भी अगर न हो तो बुझ जाना चाहिए।
दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए।
Life Poems In Hindi
एक दिन खुद को अपने पास बिठाया हमने
पहले यार बनाया फिर समझाया हमने।
खुद भी आखिरकार उन्ही वदो से बहले
जिनसे साड़ी दुनिया को बहलाया हमने।
भीड़ ने यु ही रहबर मान लिया बरना
अपने अलावा किसको घर पहुंचाया हमने।
मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
ऐसा मरने का माहौल बनाया हमने।
इसक टूटा तो इस्तखारा किया
और फिर इसक ही दुवारा किया।
और मैं तो महफ़िल से उठने वाला था
फिर किसी आँख ने इसारा किया।
जब उसकी ज़िंदगी में कोई और आ गया
तब मैं भी गांव छोड़ के लाहौर आ गया।
आपकी आँखे अगर शेर सुनाने लग जाये
हम जो गजले लिए फिरते हैं ठिकाने लग जाय।
सर से लेकर पाव तक साडी कहानी याद है
आज भी वो सक्स मुजवानी याद है।
अकेले पन से कहा तालमेल होता है
खिलाडी इसक में दो हो तो खेल होता है।
न लेना इसक के पर्चे में सौ से कम नम्बर
यहाँ निनानवे वाला भी फेल होता है।
तुम आओगे तो मैं सस्ता तुम्हे दिला दूंगा
हमारे शहर इंसाफ सेल होता है।
Poem About Life In Hindi
न दिल का इज्न न दिलदार की इजाजत है
बगैर न दिन में तो चार की जरुरत है।
नूर जुल्मात में नहीं रहता
दिन कभी रात में नहीं रहता।
इसक करने में खराबी है
उसन औकाद में नहीं रहता।
मालूम है जनाब का मतलब कुछ और है
मेरी लुग़त में आब का मतलब कुछ और है।
और तूने बहुत ख़राब किया है मुझे
इस शेर में ख़राब का मतलब कुछ और है।
तस्लीम है की मैंने उसे दिया है गुलाब
लेकिन यंहा गुलाब का मतलब कुछ और है।
सदाए देते हुए और खाक उड़ाते हुए
मैं अपने आप से गुजरा हु तुझ तक आते हुए।
फिर उसके वाद जमाने ने मुझको रौंद दिया
मैं गिर पड़ा किसी और को उठाते हुए।
कहानी ख़त्म हुयी की ऐसे ख़त्म हुयी
की लोग रोने लगे तालिया बजाते हुए।
Famous Poetry in Hindi
सब कुछ बताया जाय तो अच्छा रहेगा
कुछ न छुपाया जाय तो अच्छा रहेगा।
अदालत सजी है तेरे मोहल्ले में तो कोई गिला नहीं
गवाह मेरे मोहल्ले से बुलाई जाय तो अच्छा रहेगा।
मुझपे तोहमते लगी है तेरे गली से गुजरने की
रास्ता बाजार जाने का तेरा भी बताया जाय तो अच्छा रहेगा।
उसके दिल ही नहीं तिल से भी बहुत कत्ले आम हुए हैं
रकीब को दिल से पहले तिल से बाक़िफ़ किया जाय तो अच्छा रहेगा।
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो न
नैप्पी जब मैं बदलती हु तुम दूध की बोतल भर दो न।
बस यु ही एक ही एक ही करके कहाँ ज़िंदगी चलती है
कभी तुम भी दबा दो सर मेरा कभी ये भी कमी खलती है।
जब मैं भी ऑफिस जाती हु तुम भी घर को सबार दो न।
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो न
मत करो जन्मो के वादे इस पल ख़ुशी के वजह दो न।
कभी बाजार से ध्यान हटे माकन को घर पे कर दो न।
आओ पास बैठो कुछ बातें करो कभी दिल के ज़ख्म भर दो न।
क्यों कहना पड़ता है ये कभी एहसासो को समझो न
तुमने कहा था हम एक ही हैं तो अपने बराबर कर दो न।
कहा मिलता है आजकल समझने वाला
जो कोई मिलता है समझाकर चला जाता है।
रुकाबट तो ज़िंदा इनसाल के लिए होती है
मईयते के लिए तो सब रास्ता छोड़ देते हैं।
हुनर सब का अलग होता है दोस्त
किसी का छिप जाता है तो किसी का छप जाता है।
आप जितना काम बोलोगे ये दुनिया आपको उतना सुनेगी
हर किसी को उतनी ही जगह दो दिल में
जितनी वो तुम्हे देता है।
या तुम खुद रोओगे या वो तुम्हे रुलाएगा
जिनगी में अगर कोई परेशानिया आये तो
एक बात हमेसा याद रखना निखरता वही है।
जो पहले बिखर चूका होता है
एक बार सबूतों को टूटना भी जरुरी है
पता तो चले ये दुनिया कायम किस पर है।
सच्चे रिस्तो की ख़ुशी एक दूसरे की गलती बर्दास्त करने पे है।
बरना बिना कमी वाला इंसान ढूंढने जाओगे तो अकेले रह जाओगे
ज़िंदगी के भागदौड़ में इंसान को पता ही नहीं चलता की उसका
कफ़न बाजार में आ गया है मत हो उदास किसी के लिए
क्योकि इस दुनिया में क्यों की उसके लिए अगर जान भी दोगे
वो कहेगा उसकी ज़िंदगी बस इतनी ही थी।
नाराज मत होना ये सोच के कभी की काम मेरा और नाम किसी और का हो रहा है
यंहा सदियों से रोई और तेल जलते हैं लोग कहते हैं दीपक जल रहा है।
पहला प्यार होगा तुम्हे लगेगा
ये दिल उसी की अमानत है।
ये हनीमून सा बहम जब मिटेगा एक दिन
तब तुम समझोगी तुमको बस एक आदत है।
जिस दिन तुम्हे प्यार की ज़रूरत होगी
भीड़ में भी अकेला पाओगे खुद को।
इन्ही असुलो पे जमके थूकेगी दुनिया
तुम अपनी आँखों से ही गिराओगे खुद को।
वो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं मेरी ज़िंदगी था
मेरे हर कबिता के हर लब्स में वो था।
ज़िंदगी के हर पहलु में वो मौजूद था
मेरे हर फैसले में उसका ज़िक्र था।
इस मुलाकात को आज दो साल हो चुके हैं
इन दो सालो में क्या कुछ नहीं बदल गया
हमारी बचकानी हरकते और ठहाके खो गए कही
कहि हम बड़े हो गए हमारे झगड़े भी बड़े हो गए।
गलती भी किसी की नहीं थी बेवफा भी नहीं थे हम
बस यु मनो की न वक्त ने हमारा साथ दिया न ही किस्मत ने
मैं कहती की तुम समझते नहीं वो कहता तुम समझती क्यों नहीं।
मैं कहती मुझे वक्त दो मुझ पर थोड़ा ऐतवार करो
वो कहता मेरे साबरा का इम्तिहान न लो।
मैं कहती की मुझमे और झगरने की हिमत नहीं वो कहा
अपने अपने रस्ते चलते हैं इस बार जब हम अपने अपने रस्ते चले
तो उसने मुर कर नहीं देखा मैंने भी नहीं देखा।
आँखों में आँशु दोनों के थे मगर वो एहसास नहीं था
की कुछ पीछे छोड़कर जा रहे हैं हम अपने अपने रस्ते जा रहे हैं।
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हतास है
तू चल तेरे वजूद को समय को भी तलाश है।
जो तुझसे लिपटी बेरियां समझ न इनको वस्त्र तू
ये बेरियां पिघाल के बना ले इनको सस्त्र तू
चरित्र जब पवित्र है तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक नहीं की ले परीक्षा तेरी
जला कर भस्म कर उसे जो क्रूरता का जाल है।
तू आरती का लौ नहीं तू क्रोध का मशाल है।
चुनर उदा के ध्वज बना गगन भी कपकपायेगा
अगर तेरी चुनर गिरी तो एक भूकंप आएगा
तू खुद की खोज में निकल तू किस लिए हतास है
तू चल तेरे वजूद को समय को भी तलाश है।
Hindi Poems On Life
कहि मंदिरो में दिया नहीं कहि मस्जिदों में दुआ नहीं
मेरे शहर में है खुदा बहुत मगर आदमी का पता नहीं
न भीड़ हु न मैं सोर हु मैं इसी लिए कोई और हु।
कई रंग आये गए मगर कोई रंग मुझपे चढ़ा नहीं
कहि ये न हो की तेरे हाथ में मैं हवा से मिलकर भरक उठु
अभी खेल मत मेरी राख से मैं सुलग रहा हु बुझा नहीं हु।
ये जो दिल में दर्द का राग है ये दबी हुयी कोई आग है
मैं वो ज़ख्म हु जो भरा नहीं मैं वो दाग हु जो मिटा नहीं।
उसकी दुनिया में नहीं रहता था
फिर भी मैं उसमे कहीं रहता था।
उसकी जुल्फों में चाँद तारे थे
मैं भी वदल सा वही रहता था।
ये जो बिरं सी आँखे है तेरी
मैं बहुत पहले यही रहता था।
जिसके पीछे पागल होकर
मैं दौरा अपने जीवन भरब
जब मृगजल में परिवर्तित हो मुझपर मेरा अरमान हँसा
तब रोक न पाया मैं आँशु।
जिसमे अपने प्राणो को भर
कर देना चाहा अमर -अजर
जब बिस्मृति के पीछे छिपकर मुझ पर वो मेरा गान हंसा
तब रोक न पाया मैं आँशु।
मैं पूजन आराधना को
मेरे सम्पूर्ण समर्पण को
जब मेरी कमजोरी कहकर मेरा पूजित पाषाण हंसा
तब रोक न पाया मैं आँशु।
Poetry Life In Hindi
हमे पहचानते हो हमको हिंदुस्तान कहते हैं
मगर कुछ लोग जाने क्यों हमे मेहमान कहते हैं।
और जो ये दिवार सुराख़ है दुनिया की साजिस है
मगर इसे हम अपने घर का रौशनदान कहते हैं।
मैं अपने फूल लेकर किस इलाके में निकल आया
यंहा के लोग तरकस को भी गुलदान कहते हैं।
ये जो चक्की चल रही है उसके दोनों पाट उलटे हैं
जो बईमान हैं वो हमको बईमान कहते हैं।
दुनिया को सुनाई दे उसे कहते है ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उससे तूफान कहते है।
मेरे अंदर एक एक करके सबकुछ हो गया रुखसत
मगर एक छेज बाकि है जिसे इमांन कहते हैं।
आज फिर ज़िंदगी से मुलाकात हुयी
बैठ के उसके संग यु ही कई बात हुयी।
वो बोली की कुछ भी अनंत नहीं है यहाँ
यहां है हर सुबह की रात हुयी।
समझया उसने दिल को की तुम रोना बंद कर
मेरे ये हसीं लम्हे तुम खोना बंद कर।
रात हुयी है तो जरूर इसमें सुबह होगी
थोड़ा इंतजार कर कल कोई और तेरा महबूबा होगी
Hindi Poems – तुम मुझको कब तक रोकोगे।
तुम मुझको कब तक रोकोगे।
मुठी में कुछ सपने लेकर भर कर जेबो में आशाये
दिल में है अरमान यही कुछ कर जाये कुछ कर जाये
सूरज सा तेज नहीं मुझमे दीपक सा जलता देखोगे।
अपनी हद रौशन करने से तुम मुहको कब तक रोकोगे
मैं उस माटी का बृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सिचा है
बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु सेजीवन खींचा है
मैं पत्थर पे लिखी इबारत हु सीसे से कब तक तोड़ोगे।
मिटने वाला मैं नाम नहीं तुम मुझको कब तक रोकोगे
इस जग में जितने जुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है
तानो के भी सौर में रहकर सच कहने की आदत है
मैं सागर से भी गहरा हु तुम कितने कंकर फेंकोगे।
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं तुम मुझको कब तक रोकोगे।
झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ अब झुकने का सौक नहीं
अपने हाथो रचा स्वं तुमसे मिटने का खौफ नहीं
तुम हालातो की भट्ठी में जब जब मुझको झोको गे।
तब तप कर सोनो बनुगा मैं तुम मुझको कब तक रोकोगे।
Best Inspirational Poem In Hindi
मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब
आज कुंतल छाह तुम मुझपर किये हो
प्राण कह दो तुम आज मेरे लिए हो।
रात मेरी रात का श्रृंगार मेरा
आज आधे बिश्व से अधिसार मेरा
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण कह दो तुम आज मेरे लिए हो।
वह सूरा के रूप में मोहे भला क्या
वह सुधा के स्वाद में जाये छाला क्या
जो तुम्हारे होठ का मधु -विष पिए हो
प्राण कह दो तुम आज मेरे लिए हो।
मृत सजीवन था तुम्हारा तो परस ही
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी
मैं अमर मत कहो अब जिए हो
प्राण कह दो तुम आज मेरे लिए हो।
Sad Poems In Hindi – खाली बैठे हो तो एक काम मेरा कर दो न
खाली बैठे हो तो एक काम मेरा कर दो न
मुझे एक अच्छा जख्म अदा कर दो न।
ध्यान से पंछियो को देते हो दाना पानी
इतने अच्छे हो तो पिंजरे से रिहा कर दो न।
जब करीब आ ही गए हो तो उदासी कैसी
जब दिया दे ही रही हो तो जला कर दो न।
इसी ख़ुशी ने मेरा डैम निकल रखा है
की उसने अभी भी मेरा गम संभल रखा है।
मैं खाक ही तो हु आखिर मेरा बनेगा क्या
मुझे कुम्हार ने चक्कर में डाल रखा है।
मेरे खिलाफ मिले हैं कई साबुत
पर मेरे वकील ने जज को संभाल रखा है।
Best Hindi Poetry About Love
इसक में दान करना पड़ता है
जॉ को हलकान करना पड़ता है।
तजुर्बा मुफ्त में नहीं मिलता
पहले नुक्सान करना पड़ता है।
फिर उदासी के भी तकाजे हैं
घर को बीरान करना पड़ता है।
बगैर उसको बताये निभाना पड़ता है
ये इसक राज है इसको छुपाना पड़ता है।
मैं अपने ज़िद से बहुत परेशां हु
तेरे ख्याल के चौखट पे आना पड़ता है।
तेरे बगैर ही अच्छे थे क्या मुसिबत है
कैसा प्यार है हर दिन जाताना पड़ता है।
Hindi Poetry- इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाय
इतना मजबूर न कर बात बनाने लग जाय
हम तेरी सर की कसम झूठी कहानी लग जाय।
इतने सन्नाटे पिए मेरी सानहत ने अब
सिर्फ आवाज़ पे चाहु तो निशाने लग जाय।
मैं अपनी जवानी की अगर सुना दू किस्से
ये जो लौंडे हैं मेरे पाँव दबाने लग जाय।
जेहालतो के अँधेरे मिटाकर लौट आया
मैं आज साडी किताबे जलाकर लौट आया।
वो अब भी रेल में बैठी सिसक रही होगी
मैं अपना हाथ हवा में हिलाकर लौट आया।
खबर मिली है की सोना निकल रहा है वहां
मैं जिस ज़मीं पे ठोकर लगा के लौट आया।
वो चाहता था की कांसा खरीद ले मेरा
मैं उसकी ताज की किमत लगा के लौट आया।
आईने आँख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था
एक याद बसर करती थी मुझे मैं साँस नहीं ले पता था।
मैं रब से राबता में रहता मुमकिन है की उसे राबता हो
मुझे हाथ उठाना पड़ता था तब जेक वो फोन उठाते थे।
मुझेआज भी याद है बचपन में कभी उसपे नजर अगर पड़ता
मेरे बास्ते से फूल बरसते थे मेरी तख्ती पे दिल बन जाता था।
Hindi Poems – उसके उसके हाथो में जो खंजर है ज्यादा तेज है
उसके उसके हाथो में जो खंजर है ज्यादा तेज है
और बचपन से ही उसका निशाना तेज है।
जब कभी उस पार जाने का ख्याल आता मुझे
कोई आहिस्ता से कहता था दरिया तेज है।
आज मिलना था बिछड़ जाने की नियत से हमे
देर से पंहुचा है वो कितना तेज है।
अपना सबकुछ हार के लौट आये हो न मेरे पास
मैं कहता भी रहता था की दुनिया तेज है।
आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाजा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोड़ा मीठा तेज है।
hindi kavita – तंज करना है मुझ पर अजी कीजिये
तंज करना है मुझ पर अजी कीजिये
कर रहे हैं सभी आप भी कीजिये
देख भी लीजिये बात भी कीजिये।
ख़ानदानिक मुनाफिक है आप इसलिए
दोस्तों की जड़े खोखली कीजिये।
आप इसके सिवा कर भी सकते हैं क्या ?
यानि जो कर रहें हैं यही कीजिये।
मैं गलत बात बिलकुल नहीं मानता
बात करनी है जो भी खड़ी कीजिये।
हस्र के दिन पे क्यों टालते हैं मुझे
जो करना है अभी कीजिये।
इन बारिसों से दोस्ती अच्छी नहीं फराज
कच्चा तेरा माकन है कुछ तो ख्याल कर
सुना है लोग उसे आँख भर क्र देखते हैं।
तो इसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
अगर वो बोले तो बातो से फूल झरते हैं।
अगर ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं
कहानिया ही सही मुवाल ही सही
अगर ये खाब है तो ताबीज कर के देखते हैं।
Hindi Poem – याद है पहले रोज कहां था
याद है पहले रोज कहां था
फिर ना कहना गलती दिल की
प्यार समझ के करना लड़की
प्यार निभाना होता है।
फिर पार लगाना होता है
याद है पहले रोज कहा था
साथ चलो तो पुरे सफर तक
मर जाने की अगली खबर तक
समझो यार खुदा तक होगा
सारा प्यार वफ़ा तक होगा।
देखो तुम फिर छोड़ न जाना
छोड़ गए तो फिर न आना
छोड़ दिया जो तेरा नहीं है।
चला गया जो मेरा नहीं है
याद है पहले रोज कहा था
या तो टूट के प्यार न करना
या फिर पीठ पे वार न करना
जब नादानी हो जाती है
नई कहानी हो जाती है।
मेरी ख़ुसूरती को उसने उस दिन इस कदर सजाया था
की बिंदी लगाना भूल गयी थी मैं तो उस दूँ उसने
काले पेन से टिका लगाया था।
वो अक्सर देर से ही देखता था मुझे तो सब ठीक था
बात तो उस दिन बिगरी जिस दिन सबके सामने उसने
मुझे गले लगाया था।
और मेरे ख़ुसूरती को उसने उस दिन इस कदर सजाया था
वैसे तो बहुत सी गाड़िया आती थी गली में मेरी
पर आफत तो उस दिन आ गयी जिस दिन उसने हॉर्न बजाय था।
मेरी ख़ुसूरती को उसने उस दिन इस कदर सजाया था।
मेरे आँख से तेरा गम छलक तो नहीं गया
तुझे ढूंढ कर कहि मैं भटक तो नहीं गया।
ये जो इतने प्यार से देखता है तू आजकल
मेरे दोस्त कहि तू मुझसे थक तो नहीं गया।
तेरी बदुआ का असर भी हुआ तो फ़ायदा
मेरे मांध पड़ने से तू चमक तो नहीं गया।
बड़ा पुर्र फरेब है शहदो शेर का ज़ायका
मगर इन लबो से तेरा नमक तो नहीं गया।
तेरे जिस्म से मेरी गुफ्तगू रही रात भर
कहि मैं नशे में ज़्यादा वक तो नहीं गया।
Best poetry in hindi –
motivatinaol poetry – वो साहिलो पे गाने वाले क्या हुए
वो साहिलो पे गाने वाले क्या हुए
कस्तिया चलाने वाले क्या हुए।
वो सुबह आते आते रह गयी कहां
जो काफिले थे आने वाले क्या हुए।
मैं उनकी राह देखता हु रात भर
वो रौशनी दिखाने वाले क्या हुए।
ये कोन लोग हैं मेरे इधर उधर
वो दोस्ती निभाने वाले क्या हुए।
दिल में खिलने वाले आँखे क्या हुयी
वो होठ मुस्कुराने वाले क्या हुए।
इमारते तो जलके राख हो गयी
इमारते बनाने वाले क्या हुए।
अकेले घर से पूछती है बेकसी
तेरा दिया जलाने वाले क्या हुए।
ये आप हम तो बोझ हैं ज़मीं का
ज़मीन का बोझ उठाने वाले क्या हुए।
वो साहिलो पे गाने वाले क्या हुए।
Poem on Raksha Bandhan in Hindi
किसी की ज़ख्म पर चाहत से पट्टी कोन बंधेगा।
अगर बहने नहीं होगी तो राखी कोन बंधेगा
जहाँ लड़की की इज्जत लूटना एक खेल बन जाय
वहां पर ए कबूतर तेरी चिठ्ठी कोन बंधेगा।
तुम्हारे महफ़िलो में हम बूढ़े बड़े ज़रूरी है
अगर हम ही नहीं होंगे तो पगड़ी कोन बंधेगा।
थोड़ा लिखा और ज्यादा छोड़ दिया
थोड़ा लिखा और ज्यादा छोड़ दिया
आने वालो के लिए रास्ता छोड़ दिया
लड़कियां इसक में कितनी पागल होती है।
हॉर्न बजा और चूल्हा जलता छोड़ दिया
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुजरी है।
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया
हिंदी प्रेम कविता
बात मुकद्दर की है साडी
वक्त का लिखा मारता है।
कुछ सजदों में मर जाते हैं
कुछ को सजदा मारता है।
सिर्फ हम ही हैं जो तुझपे पुरे के पुरे मरते हैं
बरना किसी को तेरी आँखे किसी को तेरी लहजा मरता है।
दिल वाले एक दूजे के उदार को खुद मर जाते हैं
दुनियादार को जब मरे दुनियादार मरता है।
क्या दुःख है समंदर को बता भी नहीं सकता
क्या दुःख है समंदर को बता भी नहीं सकता
आँशु की तरह आँख तक आ भी नहीं सकता।
तू छोड़ रहा है तो खता इसमें तेरी क्या है ?
हर सक्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता।
वैसे तो एक आँशु ही बहा कर मुझे दे जाय
ऐसे कोई तूफान हिला भी नहीं सकता।
घर ढूंढ रहे हैं मेरा रातो के पुजारी
मैं हु तो चरागों को बुझा भी नहीं सकता।
चलो वो इसक नहीं चाहने की आदत है
चलो वो इसक नहीं चाहने की आदत है
क्या करे हमे एक दूसरे की आदत है।
तुम अपने शीसागिरि का हुनर न कर जाया
विशाल में भी वही फासले फ़िराक के हैं
की उसे नींद और मुझे रतजगे की आदत है।
ये खुदजी कब तक फराज उसे भूलने की आदत है।
हिंदी की बेहतरीन प्रेम कविताएं
तुम हकीकत नहीं हो नहीं हो हसरत हो
जो मिले खाब में वो दौलत हो।
तुम वो खुशबु के खवाब के खुशबु
और इतने ही बे मुरब्बत हो।
तुम हो पहलू में पर करार नहीं
यानी ऐसा है जैसा फ़ुर्कत हो।
है मेरे आरजू की मेरे सिवा
तुम्हे सब सायरो वेह्शत हो।
किस तरह छोड़ दू तुम्हे जाना
तुम मेरी ज़िंदगी की आदत हो।
किस लिए देखते हो आईना
तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो।
दस्ता ख़त्म होने वाली है
तुम मेरी आखरी मोहब्बत हो।
sad poetry in hindi- एक हुंनर है कर गया हु मैं
एक हुंनर है कर गया हु मैं
सबके दिल से उत्तर गया हु मैं।
कैसे अपनी हसीं को जप्त करू
सुन रहा हु की गिर गया हु मैं।
क्या पता मर नहीं पाता जीते जी
जब से मर गया हु मैं।
अब है बस अपना सामना दरपेश
हर किसी से गुजर गया हु मैं।
वही नाज़ वो अड्डा वोः ही गमज़े
सर बसर आप पे गया हु मैं।
अजब इल्जाम हु ज़माने का
कभी खुद तक पहुंच नहीं पाया
अबकी बा उमर मर गया हु मैं।
Sad emotional poem in hindi- उसे हर रुख से तोडा जा रहा है
.उसे हर रुख से तोडा जा रहा है
मगर आईना हँसता जा रहा है
इसे हमने ज़रा सा भर दिया क्या
ये सागर तो छलकता जा रहा है
तेरे चेहरे में ऐसा क्या है आखिर
जिसे बरसो से देखा जा रहा है
जहां तक मुझसे मतलब है जहां को
वही तक मुझको पूछा जा रहा है
ज़माने पर भरोसा करने वालों
भरोसे का ज़माना जा रहा है
ऐसा न हो की रह जाये तनहा
बहुत आगे निकलता जा रहा है
Love Poems In Hindi – हिंदी प्रेम कविता
सभी मौषम है दस्त तरस में तेरी
तूने चाहा तो हम हरे रहेंगे।
लौटना कब है तूने पर तुझको
आदतन ही पुकारते रहेंगे।
तुझको पाने का मसअला ये है
तुझको खोने के वस्वसे रहेंगे।
तू इधर देख मुझसे बाते कर
यार चश्मे तो फूटते रहेंगे।
एक मुद्दत हुयी है तुझसे मिले
तू तो कहता था राब्ते रहेंगे।
Hindi Poems – झूठ पर उसके भरोसा कर लिया
झूठ पर उसके भरोसा कर लिया
धूप इतनी थी की साया कर लिया।
अब हमारी मुश्किले कुछ कम हुयी
दुश्मनो ने एक चेहरा कर लिया।
हाथ क्या आया सजाकर महफिले
और भी खुद को अकेला कर लिया।
हारने का तो हौसला था ही नहीं
जीत में दुश्मन का हिस्सा कर लिया।
मंजिलो पे हम मिले ये तय हुआ
वापसी में साथ पक्का कर लिया
साड़ी दुनिया से लड़े जिसके लिए
एक दिन उससे भी झगड़ा कर लिया।
कुर्ब का उसके उठाकर फ़ायदा
हिज्र का सामान इकठा कर लिया।
गुफ्तगू से हल्फ कुछ निकला नहीं
रंजिसो को और ताज़ा कर लिया।
मोल था हर चीज का बजार में
हमने तन्हाई का सौदा कर लिया।
अना जो मेरी पस्ती में नहीं है
किसी के जी हुजूरी में नहीं है।
वो अपने को बड़ा गिनने लगा है
अभी खुद भी जो गिनती में नहीं है।
उसे भी पारसाई का है दावा
सराफत जिसकी घुठि में नहीं है।
ये पानी किस तरह कस्ती में आया
अगर सुराग कस्ती में नहीं है।
नई मखतर को भी मिलती है वजारत
मगर वो राजनीती में नहीं है।
अब ये रिस्ता पहले जैसा नहीं रहा …
जब मिले थे हम पहली बार तुम करीब आये थे मेरे
तुम्हे मैं अच्छी लगने लगी थी तुम्हे भी मैं पसंद करने लगी थी।
तब तुम्हे मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता था
और मुझे भी तुमसे किया हर वादा सच्चा लगता था।
घंटो घंटो फ़ोन पर बातें किया करती थी
मुझसे मिलने के वाद अक्सर लेट सोया करते थे तुम।
हर बात पर तुम मेरे लिए केयर दिखते थे
रूठ जाऊ मैं कभी तो तुम झटसे मानते थे।
20 से 30 किलोमीटर दूर रोज मुझसे मिलने आया करते थे
उसके बाद मुझे घूमाने भी ले जाया करते।
तो क्यों आज साथ होकर भी हम साथ नहीं
क्यों अब इस रिश्ते में फिर पहले जैसे बात नहीं।
क्यों मेरे वो पहले जैसा हालत नहीं क्यों मेरे हाथो में
तेरा हाथ नहीं एक छत के निचे रहकर भी तुम अजनवी बन गया।
पता नहीं अचानक तू इतना क्यों बदल गया
ऐसा नहीं की मैं तुम्हे समझाने की कोशिस नहीं की
पर तुमने ही कहि ये रिस्ता बचाने की कोशिस नहीं की।
तुम उसे जाने देना …
रो कर बिलख कार तड़प कर तुम जाने देना
तस्वीरों में बस यादे रखना यादो में बुनयादे रखना।
बुनयाद कच्ची थी तुन बस ये समझना
खुद को बहला फुसलाकर बस जाने देना।
जब वो चला जाय तो बिखड़ना मत उसकी
यादो की गली से गुजरना मत। मिल जाए
नजर किसी मोर पर उसे देखकर
कभी पीछे पलटना मत अपनी पलकों को भीगाना मत
खुद के सिवा कभी किसी को इतना चना मत
जैसा मैं करती हु वैसा तुमसे प्यार नहीं होगा …
धीरे धीरे फिर वही होगा
मैं रह जाऊंगी अकेली तुम साथ नहीं होगा।
कहने और करने में फर्क नहीं होगा मेरी जान
जैसे मैं करती हु वैसे तुमसे प्यार नहीं होगा।
ख्याल जब भी कोई मन में आता है
शब्दों का एक जाल सा बुन जाता है।
न जाने किए बड़े आराम से सो जातें हैं कुछ लोग
मुझे तो आजकल खुवाब भी खुले आँखों में आता है।
जितने अपने थे सब पराये ……
जितने अपने थे सब पराये
हम हवा को गले लगाए थे।
जितने कसमे थी सब थी सर्मिन्दा
जितने वादे थे सर झुकाये थे।
jitne आँशु थे सब थे बेगाने
जितने महिमां थे सब बिन बुलाये थे।
सब किताबे पढ़ी पढ़ाई थी
सारे किस्से सुने सुनाये थे
एक बंजर ज़मीं के सीने में
मैंने कुछ आसमान उगाये थे
सिर्फ दो घुट प्यास के खातिर
उम्र भर धुप में नहाये थे।
हासिये पर खड़े हुए हैं हम
हमने खुद हँसिये बनाये थे।
मैं अकेला उदाश बैठा था
शाम ने कहकहे लगाए थे
है गलत उसको वेवफा कहना
हम कहा धुले धुलाये थे
आज काँटों भरा मुकदर है
हम ने भी गुल बहुत खिलाये थे
तुम में कुछ बात तो है
खुवाइसे तो बहुत है पूरा करोगे क्या ?
हाथ पकड़ के चलना है तुम्हारा चलोगे क्या ?
तुम में कुछ बात तो है बात है तो मतलब बहुत सही वाली बात है।
होने से तुम्हारी एक अलग सी राहत है ,
राहत है तो मतलब बहुत सही वाली राहत है ,
खुवाब जुड़े हैं तुमसे मेरे कभी पास आओ इनसे मिलाऊँगा तुम्हे।
नजरो में भी सिर्फ तुम्ही बसे हो यार ,
कभी फुर्सत मिले तो एक झलक दिखाऊंगा तुम्हे
दिल करता है की तुमसे एक बार बात हो सके
सिर्फ तुम और मैं हु वंहा कुछ ऐसी मुलाकात हो सके
राते तो हो जाती है तुम्हारे बिना भी
पर तुम्हारी आवाज़ सुनके नींद आ जाए कुछ ऐसी रात हो सके।
दूरियां है हमारे दर्मिया फिर भी तुम बहोत करीब लगती हो
वजह नहीं पता तुम्हे चाहने की फिर भी तुम ठीक लगती हो।
अकेले बैठ के आँखे मीच के खयालो में तुम्हारा खो जाना
मायुश होके यादो को याद करके बेवजह यु मुस्कुराना।
तुम साड़ी तकलीफे दूर कर देती हो एक याद में ही
रुला के पहले फिर अलगे ही पल खुश कर देती हो।
खयालो ख्याल में परेशान तो नहीं होती होगी तुम
जब भी तुम्हे ऐसे दूर से देखता हु
माफ़ करना अगर हिचकिया आती होगी तुम्हे
वो आजकल में तुम्हे थोड़ा ज्यादा याद करता हु
कैसे दूर करू तुम्हे इन खयालो से
जब सारे ख्याल ही तुंम हो
क्यों करते हो यार इतने सवाल मुझसे
जब इनके सारे जबाब ही तुम हो।
तुमसे हर मुक्तसर मुलाकातों को संभाल कर रखा है
तुम्हारे लिए ज़ज़्बातो को मसल्सल कर रखा है
समझ नहीं आता तुम ख्याल से जुड़े हो या ख्याल तुमसे
बस यार तुमने मुझे आजकल पागल कर रखा है।
तो क्या हुआ अगर तुम साथ नहीं हो
तुम्हारा ख्याल साथ तो है
हर बार यु ही नहीं खींचा चला आता हु तुम्हारी ओर
तुममे कुछ बात तो है।
नजर चढ़ती है खूब नजर को
शराब लिखना चाहती हु ,
नज़र अच्छी नहीं है ज़माने की
नज़र को ख़राब लिखना चाहती हु।
najar की इन्तजार करती है नजरे
नजर को किताब लिखना चाहती हु।
नज़र इजहार आयी है बनकर
najar को गुलाब लिखना चाहती हु।
नजर तेज लहर सी है नजर
को सैलाव लिखना चाहती हु।
नजर पढ़ी भी जाती है नजर
को किताब लिखना चाहती हु।
नजर कितनो से मिली है उसकी
नजर का हिसाव लिखना चाहती हु
najar से मारे गए हैं आसिक najar को
तेज़ाब लिखना चाहती हु
नजरो ने सवाल किये हैं मुझसे
नजर का जवाब लिखना चाहती हु।
najar के पीछे मकसद नजर को
नकाब लिखना चाहता हु।
इस क़दर प्यार की वारिश हो की जल थल हो जाऊं
तुम घटा बनके चले आओ मैं बादल हो जाऊं
घर में बैठा हु चमकते हुए सोने की तरह
मैं जो सराबे में आ जाऊ तो पीतल हो जाउं
ढूंढते ढूंढते एक उम्र गुजारी जिसको
वो अगर सामने आ जाए तो पागल हो जाऊं
मुन्तज़िर चाक पे है मेरी अधूरी मिटटी
तुम ज़दा हाथ लगाओ तो मुकम्बल हो जाउं
मेरे सनातों ने आवद रखा है मुझको
मैं तेरे सहर में आ जाऊं तो जंगल हो जाउ
बेकली से बेखुदी से कुछ नहीं होता
पुकारे क्यों किसी को हम किसी से कुछ नहीं होता
कोई जब शहर से जाए रौनक रूठ जाती है
किसी के शहर में मौजूदगी से कुछ नहीं होता।
चमक यु पैदा नहीं हुयी है मेरी जान तुझमे
न कहना कभी तू बेरुखी से कुछ नहीं होता
जो बात खास है खुद को भी बताऊँ नहीं
मैं लुफ्त लेता रहु और मुस्कुराऊँ नहीं
उसे सताने का बस यही तरीका है
उसके दिल में राहु और समझ में आऊं नहीं।
तुम तन्हाईयाँ बक्सों गे मुझे वो भी मंजूर है
बस कह देना दिल से दूर है
चलो धोखा ही था तुम्हारा सब इसक झूठ था
वो झूठ अपनी जुबां को कहने देते
मैं खुश थी मुझे धोखे में ही रहने देते
मेरी जुल्फे नाराज है की तू कहा है
मेरी खुशियां नाराज है की तू कहां है
अरसा हुआ चाँद खिला नहीं है मेरे आसमान में
तारो की आवाज़ है की तू कहाँ है
Tum Apna Kal Likho -Hindi Poetry
तुम आग लिखो तुम पानी लिखो
तुम किस्से लिखो कहानी लिखो
किसी राज़ महल की रानी likho
तुम आर लिखो या पार लिखो
फ़रिश्तो का अवतार लिखो
एक वेहद प्यारा नाम likho
तुम प्यार लिखो मेरे यार लिखो
छिप छिप के होता जिक्र likho
मेरे मन में उठती फिक्र लिखो
उसे ढूंढे मन परिंदा likho
मेरे मन में वसा पसिन्दा लिखो
चलो गैर जरुरी खुवाब जला दो
पर यार तुम मुझमे ज़िंदा लिखो
तुम पीर लिखो फ़क़ीर likho
दोनों हाथो की लकीर लिखो
मेरे हक के फैसले मैं लुंगी
तुम मुझको मेरा वकील लिखो
हर लव्ज़ लिखो हक़ीक़त लिखो
सनम की साड़ी सराफत likho
अगर सुनवाई है तो जाना है
नाम खुदा की अदालत लिखो
तुम जीत लिखो तुम हार लिखो
मेरी हर छोटी दरकार लिखो
मुझे सब मंजिल मिलजानि है
मेरी माँ को मेरे सरकार लिखो
तुम भूख लिखो तुम प्यास likho
सुनी आँखों की आस लिखो
जो भी बची है साँस लिखो
फिर भी जिंदगी को खास likho
तुम राजा लिखो तुम रंक लिखो
गिनती के सारे अंक लिखो
मैं आसमान पढ़ सकती हु
तक़दीर में मेरी पंख लिखो
दिल कहता है जो कहकर देखो
खवाबो में भी रहकर देखो
खवाबो में मछली उड़ जाती है
धुल हवा में रुक जाती है
तो ढंग लिखो वेढंग लिखो
देखेगा ज़माना दंग लिखो
होली के सारे रंग लिखो
आओ सखी मेरे संग लिखो।
चलने का हौसला नहीं
रुकना महाल कर दिया
इश्क के इस सफर ने तो
मुझको निढाल कर दिया
ए मेरी गुलजामि तुझे
चाह थी एक किताब की
पहले किताब में मगर
क्या तेरा हाल कर दया
मिलते हुए दिलो के बिच
और था फैसला कोई
उसने मगर बिछड़ते वक्त
और सवाल कर दिया।
अबकी हवा के साथ है
दामने यार मुंतजर
बानू ये सबके हाथ में
रखना संभाल कर दिया।
मुमकीनो फैसलो में एक
हिज्र का फैसला भी था
हमने तो एक बात की
उसने कमाल कर दिया।
मेरे लबो पे मोह्र थी
पर मेरे सिसरु ने तो
सहर के सहर को मेरा
वाक़िफ़े हाल कर दिया
चेहरों नाम एक साथ
आज न याद आ सके
वक्त ने किस सबीब को
खाबो ख्याल कर दिया
मुददतो वाद उसने आज
मुझसे कोई गिला किया
मन्सबे बिल बड़ी पे क्या
मुझको बहाल कर दिया।
हमेशा देर कर देता हु मैं
ख्याल जिसका था मुझे
ख्याल में मिला मुझे
सवाल का जवाब भी
सवाल में मिला मुझे
किसी कोई अपने अमल
का हिसाब क्या देते
सवाल सारे गलत थे
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना ho
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेसा देर कर देता हु मैं
मद्दद करनी हो उसकी
यार के दरस बताना हो
बहुत दाहृने रास्तो पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेसा देर कर देता हु मैं
बदलते मौसमो के शैर में
दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हु मैं
किसी को मौत से पहले
किसी गम से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ
उसको जाके ये बताना हो
हमेसा देर कर देता हु मैं
याद है वो जो कहता था
मैं हमेशा हाज़िर हु तेरे लिए
तू बहुत ज़रूरी है मेरे लिए
अब दूर दूर तक वो कहि नहीं दीखता
दीखता भी है तो अँधेरे लिए
याद है वो जो बोलती थी
तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता
मुझे मेरा दिन पूरा नहीं लगता
आज मुँह मोड़ के ऐसे बैठी है
जैसे कभी कोई रिस्ता ही नहीं था।
याद है वो दोस्त सारे जो बोलते थे
एक कॉल की दुरी पे हैं हम
औरो की बात बंद होती होगी
हमारा नहीं होता है कुछ ख़तम
अब इतने दूर हो गए हैं सभी
की सायद वापस से लेना पड़े इंट्रोडक्शन।
याद है वो एक सकस हुआ करता था
जो कहता था मैं इन चक्करो में नहीं पड़ने वाला।
ये रिश्ते नाते औरो के टूटते होंगे
मुझे इनसे फर्क नहीं पड़ने वाला
आज कविता सुना रहा है वो टूटे दिल की
तो यार लगता है की बच जाओगे तुम
प्यार इसक मोहब्बत से कोई न बचने वाला।
दोस्ती पर कविता
हमने प्यार को complicate बना दिया
की उसकी अटेंशन पाने के लिए
उसी को इगनोर करना पड रहा है तुम्हे
रिस्ता चलाना भी चाहते हो ,
पर उसे नाम नहीं देना चाहते हो
चूम लेते हो एक दूसरे को
पर फीलिंग्स नहीं आने देना चाहते हो
कितने दिनों से साथ हो पर
कमिटमेंट से डर रहे हो
ये जेनरेशन देख लो हमारी
हम कैसे प्यार कर रहे हैं
रिलेशनशिप के आगे casual लगा दो तो
दिल बिच में नहीं आता क्या
और दिल को बिच में अभी आना नहीं
तुम्हारे पास जो स्वीच है
जो प्यार को on ऑफ कर सकते हो तुम
इस्पे तो बस किसी का चलता ही नहीं था
अब इसे भी कंट्रोल कर सकते हो तुम
सालो साल साथ रहने के वाद भी
ये एक नहीं होना चाहते
बोर न हो जाए एक टाइम के वाद
इसलिए स्योर नहीं होना चाहते
एक इंसान से मुभ ों करणे के लिए
दूसरे इंसान का इस्तेमाल करते हैं
जब तक इसक one साइड हो
तब तक सिद्दत वाला प्यार करते हैं
सिंपल से चीज़ को उलझा के रखा है
और फसा लिए दिल बचा के रखा है
प्यार का पूछो तो एकबार भी नहीं हुआ
पर ब्रेकअप सौ सौ बार हो रखा है
ये इस दुनिया को क्या हों रखा है
सुनो नजरा अंदाज़ कर रहे हों न
कर लो अंदाज़ा उस दिन का भी कर लेना
जिस दिन हम नजर नहीं आएंगे
समझा ही नहीं वो कभी मेरे नजरो को
मैंने हर वो लव्स कह दिया
जिसका नाम मोहब्बत था
कोई था जो मेरी उदासी की भी
वजह पूछा करता था
पर जाने क्यों आज उसे
मेरे रोने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता
Short Poem In Hindi
डिअर स्पेशल parson
तुम्हे इस बात का सायद अहसास नहीं होगा
की मेरे कितने ख़ास हो तुम
तुम्हारे होने से ज़िंदगी खिल सी जाती है
तुम्हे पता नहीं पर सच में
मेरे दिल के सबसे पास हो तुम
तुम्हारी एक अलग ही जगह है दिल में
वो जगह कोई और नहीं ले सकता
अब मैं कितने भी लोगो से मिल लू न चाहे
तुम्हारे जैसा मुझे कोई मिल ही नहीं सकता
तो ये बात दीमांग से निकाल दो
तुम्हे भूलता जा रहा हु मैं
हां रोज बात नहीं हो पाती
उसके लिए माफ़ी चाहता हु मैं
मेरी पहली praoririty तुम हो
और तुम ही रहोगे
अभी तक जैसे साथ रहे हो पर पता है मुझे
आगे भी ऐसे ही साथ रहोगे
मेरी बाते मेरी किस्से मेरी बकवास
सब झेल लिए तुमने
मेरा दुःख मेरी दर्द मेरी पदेसानियाँ
अपने सर ले लिए तुमने
डिअर स्पेशल पर्सन
तुम्हे कबसे ये बात बतानी थी
तुम वजह हो मेरे मुस्कुराने के
उसे किसी भी चीज़ के लिए न
वक़्त नहीं माँगना पड़ता है
और लोगो की तरह
मैं जब भी उसे बात करना चाहु
जिस भी बारे में करना चाहु
मेरे लिए हमेशा फ्री रहता है
मेरा बेस्ट फ्रेंड हमेशा फ्री रहता है
इतना सपोर्ट न चाहिए होता है ज़िंदगी में
लेकिन बहुत सी बाते जो हम कॉलेज में सीखते हैं ,
वे अपने दोस्तों के अलावा
न तो किसी को बता पातें हैं
और न ही समझा पाते हैं
क्योकि वो बातें दोस्तों से सीखते हैं
और वही समझते भी हैं
तो डिअर बेस्ट फ्रेंड थैंक्स
मेरे लाइफ में होने की लिए
मुझे अपना वक़्त देने के लिए
दोस्तों तो बहुत होतें हैं हर किसी के
लेकिन मेरा बेस्ट फ्रेंड होने के लिए थैंक्स यार
जब उससे बात नहीं होती न
तो सच में ऐसा लगता है जैस
सबकुछ अधूरा सा है
मैं जानता हु ,
अब हम साथ नहीं हो सकते
लेकिन पता नहीं क्यों फिर भी तुम्हारी
बहुत ज़रूरत है मुझे
और इस बात को मैं तो क्या
कोई भी नहीं बदल सकता है
तुम्हे पता है तुम क्या हो मेरे लिए
जैसे किसी मुसाफिर का कोई रास्ता हो
किसी अधूरी मोहब्बत का मुझसे कोई वास्ता हो
जैसे अधूरा कोई सफर था
मैं मुसाफिर था तुम मंजिल थी
और रास्ता तुम तक पहुंचने का एकदम अलग था
जब तुमसे बात नहीं होती न
तो ये फ़ोन उठाने का भी मन नहीं करता
आँखे थकती नहीं रोने से
और तुम्हे याद किये बिना कोई पल नहीं कट्टा
जब तुमसे बात नहीं होती न
तब सबकुछ अधूरा सा लगता है
मेरा एक खुवाब मुझसे नफरत करने लगा है
मेरी मंजिल था कभी
आज अपने ही रास्ता पे निकल पड़ा है।
कुछ चुभता है आज भी
सायद उसका खालीपन हो
आज मेरे सच में वो अपने
झूठ रखने लगा है
मेरे खुवाब मुझसे भी नफरत करने लगा है
न सच कभी मैंने सुना
न सच कभी उसने कहा
न कोई साहिल उसने चुना
ना कोई रास्ता बांकी रहा
मेरा एक नशा जैसे
वो रोज मरहा की तलब हो गयी हो
न कभी जहर उसने दिया
और न चैन से मैं जीता रहा
अब तो मेरा जिस्म भी
खुद को ही निचोड़ने लगा है
मेरा एक खुवाब मुझसे ही
नफरत करने लगा है ,
जीवन पर सुप्रसिद्ध कविताएँ
वो तुमसे प्यार नहीं करता
फिर रोक के क्या मना लोगे।
दिल उसका किसी और का हो चूका है
तुम कैसे अपना हक जता लोगे
हां तुम उसे भूलना नहीं चाहते
एक बात बताओ याद रखके क्या उखाड़ लोगे
जाने दो जिसको जाना है
ये लाइफ बहुत बड़ी है
खजाना ही खजाना है
सो जाओ अकेले दो चार दिन ही तो नींद नहीं आएगी
मत सोचो उसके बारे में ,
उसको तुम्हारी याद तक नहीं आएगी
वो तेरी वफ़ा से खेल गयी अब तो भूल जाओ उसको
तुम खुद को कितना भी तड़पालो उसके पास
तुम्हारे दर्द की नोटिफिकेशन तक नहीं आएगी
और चलो माना तुमने उसको मना भी लिया
एक बात बताओ क्या वो तुम्हे
पहले की तरह प्यार कर पाएगी ,
जाने दो जिसको जाना है
ये लाइफ बहुत बड़ी है
सुनो तुम अपनी दिल की सुनो
तुम अपने लिए ज़मीं नहीं आसमान चुनो
तुम्हे हक है ज़ीने का खुद के लिए फैसला लेने का।
लोग तुमको दबाएंगे तुम लड़की हो ऐसा भी बताएंगे ,
पर तुम कभी उम्मीद मत छोड़ना अगर कभी हार जाओ।
सपने देखना मत भूलना ,
अगर नींद में कभी जाग जाओ
तुम कोई क्यों बताये की तुम कैसी हो
अपने आप से प्यार करना चाहे तुम जैसी हो ,
मिलेगा कोई तुम्हे भी जो तुम्हे पंख देगा।
कुछ लोग तुम्हे लड़की होने के हद भी समझायेंगे।
पर याद रखना ज़िंदगी तुम्हारी है ,
तुम्हे कैसे जीना है ये डिसाइड तुम्हे करना है
तुम चाहो तो इन बंदिशों को
पैर की बेरियां बनालो
तुम चाहो तो इन्हे तोड़ आज़ादी के पंख लगा लो।
Best Hindi Poetry Lines
लड़की हो तुम
लड़की हो तुम थोड़ा लिहाज़ करो
लोग क्या कहेंगे आँशु पोछो चेहरा साफ़ करो
अगले घर जाना है तुम्हे थोड़ा तो बर्दास्त करो
पर लड़की को हर वक़्त सामान की तरह से
आंकने वालो तुम भी तो थोड़ी लिहाज़ करो
क्या वो औरत है तो उसे ज़ीने का अधिकार नहीं
क्यों उसका वेवाक घूमना जमाने तुझे स्वीकार नहीं ,
बागवान के गुलाब से दोस्ती थी
मतलब किसी नयाब से दोस्ती थी
सबके हिसाब से हममे प्यार था
बस उसके हिसाब से दोस्ती थी ,
मैं दुनियादारी की बाते करता
उसकी बस किताब से दोस्ती थी
बुरा लग रहा है ,
जब से तेरी सोहबत में रह रहा है
बुरा लग रहा है
अब तुझसे थककर ये कहा हमने
बुरा लग रहा है
जिनके इसारो से मौसम के रुख बदलते थे
उन्ही आँखों से दरिया बह रहा है ,
आजकल किसी के फन में फन नहीं दीखता
सबको जुबा दिखती है पर मन नहीं दीखता
मैं उन् लड़कियों से जलती मुतासिर हो जाता हु
जिनका तस्वीरों में बदन नहीं दीखता
जो ये अंधे लोग काटने वाटने की बात करे
उन्हें बस फायदा दीखता है बदन नहीं दीखता
सब कहमें दो दिन में हुआ कामियां
इन्हे दो दिन लाने के पीछे जतन नहीं दीखता।
खुवाईसे कंधो पर लिए हजार एक लड़का
कर रहा गमे समुन्दर पार एक लड़का
डूबती एक नाव उसकी बीच भवर में फसकर
कर रहा तिनके का इंतज़ार एक लड़का
अँधेरी रात और कमरे में बैठा एक लड़का
आस्क भरे नैनो में ज़िन्द्की से ऐंठा एक लड़का
अपनी साड़ी तमन्नाओ को एक एक करके जलाते हुए
बहुत देर तक रोया मुस्कुराते एक लड़का।
आज मेरा ज़िल ज़ख़्मी है और
साँसे में मगरूरी है
कुछ बातें है जो बेकार है लेकिन
तुझे बतानी ज़रूरी है
काश तूने नहीं पूछा हाल मेरा
लेकिन तबियत मेरी अच्छी है
मुस्कान ज़रा सी छोटी है
लेकिन बाते बिलकुल सच्ची है
आज तुमने नहीं पूछा म
मैं फिर भी खाना खाया है ,
आज सुबह तेरी कॉल नहीं था
फिर भी मेरी माँ ने मुझे जगाया है ,
एक वक्त था जब तुम्हे कोई छू लेता
तो मेरा खून खौल उठता था
और इसलिए कई दफा मैंने इन हवाओ
से वैर पाला करता था
अरे अगर अपने हुस्न के सिवा कुछ
नहीं है तुम्हारे पास अगर
तो जा तू किसी के साथ हमविस्तर भी हो जा
तो मुझे कोई फर्क नहीं पडता
एक वक़्त था जब मैं तुमसे प्यार करता था
इतना गुरुर किया तूने इस मिटटी के जिस्मो पर
जा ये तेरा जिस्म किसी और का हो जाय
मुझे फर्क नहीं पड़ता।
Top Hindi Poetry On Friendship
सबके लाइफ में एक अलग इंसान होता है
जिससे थोड़ा अलग सा रिस्ता होता है ,
और तुम उनमे से ही एक हो ,
तुम्हे बताने की कोशिश करूँ तो सायद
बता नहीं पाउंगी की तुम क्या अहमियत
रखते हो मेरी ज़िंदगी में ,
पर तुम्हारे होने से न एक सुकून सा है जैसे
ऐसा लगता है कोई है जो हमेशा साथ देगा।
चाहे हालत कैसे भी होंगे ,
अच्छे बुरे वक़्त में साथ तुम रहोगे मेरे
और मैं आँखे बंद करके तुमपे
यकींन कर सकता हु।
तुमसे कुछ भी शेयर करने से पहले
मैं सोचता नहीं हु तुमसे एडवाइस
लेलु तो तसल्ली सी होती है।
की जो है सही ही होगा।
नहीं पता है कैसा रिस्ता है
ये पर जो भी है न
ख़ास है पर औरो से अलग है ,
तुमसे दिल की बाते करने में झिझक नहीं होती,
खुलकर हंसना भी अच्छा लगता है
तुम्हारे साथ और रोने का दिल हो तो
सबसे पहले तुम्हारी याद आती है।
तुमसे पहले मैं इतना फ्री भी नहीं थी किसी से
रिसर्व रहना पसंद था मुझे
लोगो से बातें शेयर नहीं करती थी मैं
ये सोचकर की लोग कुछ भी मतलब
निकालेंगे मेरी बातो का पर तुमसे
सबकुछ कह देती हु बिना सोचे
की तुम क्या सोचोगे क्योकि
एक है कम्फर्ट जॉन तुम्हारे साथ
जो मुझे स्पेशल फील कराता है।
The artistry of poetry for Hindi lies in its ability to evoke sentiments, making each poem of Hindi a cultural gem. From reflective verses to the vibrant spectrum of Hindi poems, the language’s poetic landscape unfolds with expressive beauty.
Conclusion:
In the realm of literature, the charm of Best Hindi Kavita is undeniable. Each verse, a testament to the beauty of expression, resonates with emotions. The depth of these poems transcends language, leaving an indelible mark on the reader’s heart. Best Hindi Poems illuminate the power of words, forging a timeless connection.